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माँ का आँचल

राजबाला शर्मा ‘दीप’
अजमेर(राजस्थान)
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‘अन्तर्राष्ट्रीय मातृत्व दिवस’ १० मई विशेष……….

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हर आँचल लगता है,ममता का आँचल,
याद बहुत आता मुझको माँ का आँचल।

कभी ओढ़ना,कभी बिछौना,
फूलों की चादर-सा कोमल कोमल।
याद बहुत आता मुझको माँ का आँचल…

धरा सा शांत,गगन-सा विस्तृत,
लगता है ठंडी बयार-सा शीतल शीतल।
याद बहुत आता मुझको माँ का आँचल…

लुका-छिपी या डांट-डपट हो,
प्रहरी-सा डट जाता,बन जाता संबल।
याद बहुत आता मुझको माँ का आँचल…

लहराता परचम-सा,नेह-सिक्त बंधन-सा,
बचपन की यादों का खजाना मोहक वत्सल।
याद बहुत आता मुझको माँ का आँचल…

भेदभाव ना,पाप-पुण्य ना,
सदैव समर्पित नेह हम पर निर्मल निश्छल।
याद बहुत आता मुझको माँ का आँचल…

बारम्बार प्रणाम तुम्हें नमन शत-शत,
ईश्वर से भी बड़ा है जननी तेरा आँचल।
याद बहुत आता मुझको माँ का आँचल॥

परिचय–राजबाला शर्मा का साहित्यिक उपनाम-दीप है। १४ सितम्बर १९५२ को भरतपुर (राज.)में जन्मीं राजबाला शर्मा का वर्तमान बसेरा अजमेर (राजस्थान)में है। स्थाई रुप से अजमेर निवासी दीप को भाषा ज्ञान-हिंदी एवं बृज का है। कार्यक्षेत्र-गृहिणी का है। इनकी लेखन विधा-कविता,कहानी, गज़ल है। माँ और इंतजार-साझा पुस्तक आपके खाते में है। लेखनी का उद्देश्य-जन जागरण तथा आत्मसंतुष्टि है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-शरदचंद्र, प्रेमचंद्र और नागार्जुन हैं। आपके लिए प्रेरणा पुंज-विवेकानंद जी हैं। सबके लिए संदेश-‘सत्यमेव जयते’ का है।

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