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‘कोरोना’ को दूर करो ना

उषा शर्मा ‘मन’
जयपुर (राजस्थान)
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एक-दूसरे के संपर्क में आने से डरो ना,
सबमें स्वच्छता का संदेश भरो ना।

हाथ ना मिलाने के बजाय ‘नमस्ते’ करो ना,
स्वयं ही खुद और अपनों का ध्यान धरो ना।

भ्रम-भ्रांति को दूर कर कुछ नियम अपनाओ ना,
छोटे-छोटे प्रयास से कोरोना को हराओ ना।

ना घूमना-फिरना,ना बाहर खाना मत अपनाओ ना ।
नहीं प्रसारित हो सकेगा ये वायरस कोरोना।

अच्छाई इसी में अपना और देश का ध्यान रखो ना,
ना स्पर्श कर पाए तुम्हें कहीं से कोरोना॥

परिचय-उषा शर्मा का साहित्यिक उपनाम ‘मन’ है। जन्म तारीख २२ जुलाई १९९७ एवं स्थान-मानपूर नांगल्या(जयपुर) है। राजस्थान निवासी उषा शर्मा ‘मन’ का वर्तमान निवास बाड़ा पदमपुरा( जयपुर)में ही है। इनको राष्ट्रभाषा हिंदी सहित स्थानीय भाषा का भी ज्ञान है। ‘मन’ की पूर्ण शिक्षा-बी.एड.एवं एम. ए.(हिंदी साहित्य)है। कार्यक्षेत्र में फिलहाल अध्ययन जारी है। आपकी लेखन विधा-लेख कविता,संस्मरण व कहानी है। पसंदीदा हिंदी लेखक जयशंकर प्रसाद को मानने वाली उषा शर्मा ‘मन के देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-
“हिंदी भारत देश के लिए
गौरवमयी भाषा है,
देश की माला का स्वरूप,
भारत माँ का मान है हिंदी।
साहित्य की मन आत्मा का,
जन्मों-जन्मों का साथ है हिंदी।
कवि लेखकों की शान ही हिंदी,
हिंदुस्तान के नाम में है हिंदी॥”

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