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ज़िन्दगी:एक सड़क

राजबाला शर्मा ‘दीप’
अजमेर(राजस्थान)
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ज़िन्दगी,एक सड़क
जिस पर चल कर मिलते हैं,
सैंकड़ों लोग।
कुछ अपने बन जाते हैं,
कुछ अपने
पराए बन कर खो जाते हैं।

सड़क जिसके कई मोड़ हैं,
वह दोराहा भी है
तिराहा भी,
चौराहा भी
यह तुम्हारे ऊपर है,
तुम अपना लक्ष्य चुनो
भ्रमित न हो,और
मंजिल तक पहुंचो।

सड़क,
जो कभी हार नहीं मानती
चलती चली जाती है,
देती है संदेश
कि चलना ही,
जीवन की सार्थकता है।

सड़क,
ना करती भेदभाव
ना देखती जाति धर्म,
ना सोचती ऊंच-नीच,
वह पहुंचाती है
सबको,
उनके गंतव्य तक।

सड़क,
सभी के लिए रास्ता बनाती है
चाहे बैलगाड़ी हो या ऊंट गाड़ी,
बस,ट्रक या ट्राला
कार,स्कूटर हो,
या कोई पैदल अकेला
वह बताती है,
कि हम सभी को दें
समान अहमियत,
चाहे छोटा हो या बड़ा
बच्चा हो,स्त्री हो या हो अकेला।

सड़क,
जिसका कोई मजहब नहीं…।
वह सभी के लिए जगह बनाती है,
सभी को एक दृष्टि से आँकती है॥

परिचय–राजबाला शर्मा का साहित्यिक उपनाम-दीप है। १४ सितम्बर १९५२ को भरतपुर (राज.)में जन्मीं राजबाला शर्मा का वर्तमान बसेरा अजमेर (राजस्थान)में है। स्थाई रुप से अजमेर निवासी दीप को भाषा ज्ञान-हिंदी एवं बृज का है। कार्यक्षेत्र-गृहिणी का है। इनकी लेखन विधा-कविता,कहानी, गज़ल है। माँ और इंतजार-साझा पुस्तक आपके खाते में है। लेखनी का उद्देश्य-जन जागरण तथा आत्मसंतुष्टि है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-शरदचंद्र, प्रेमचंद्र और नागार्जुन हैं। आपके लिए प्रेरणा पुंज-विवेकानंद जी हैं। सबके लिए संदेश-‘सत्यमेव जयते’ का है।

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