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हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए एकजुट आंदोलन की आवश्यकता-प्रो. शुक्ला

अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी…..

ऑस्ट्रेलिया।

भारत के सभी हिंदी सेवियों,हिंदी सेवी संस्थाओं एवं विश्वविद्यालयों को एकजुट होकर हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए आंदोलन करने की आवश्यकता है।
यह बात डॉ. बी.आर.आम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय(महू) की कुलपति प्रो. आशा शुक्ला ने रविवार को मॉरीशस स्थित विश्व हिंदी सचिवालय,महू स्थित डॉ. बी.आर. आम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय,न्यू मीडिया सृजन संसार ग्लोबल फाउंडेशन एवं सृजन ऑस्ट्रेलिया (अंतरराष्ट्रीय ई-पत्रिका) के संयुक्त तत्वावधान में ‘हिंदी की प्रयोजनमूलकता: विविध आयाम’ विषय पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय ई-संगोष्ठी में कही। प्रो. शुक्ला ने विभिन्न अंतरजाल श्रंखला के माध्यम से हिंदी भाषा और संस्कृत को होने वाले नुकसान के प्रति सजग होने और विरोध करने को कहा।
सचिवालय के महासचिव प्रो. विनोद कुमार मिश्र ने सान्निध्य वक्तव्य में प्रयोजनमूलक हिंदी के शिक्षकों की कमी की ओर ध्यान आकर्षित किया। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय(वर्धा, महाराष्ट्र)में प्राध्यापक एवं दूरस्थ शिक्षा के निदेशक प्रो. हरीश अरोड़ा ने संगोष्ठी के मुख्य वक्ता के रूप में हिंदी की प्रयोजनमूलकता के विविध आयामों-राजभाषा,मीडिया,अनुवाद,विज्ञापन,पत्रकारिता, साहित्य सृजन आदि के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियाँ देने के साथ इन सभी क्षेत्रों में उपलब्ध रोजगार के अवसरों पर भी बात की। प्रो.अरोड़ा ने बताया कि हिंदी विश्वविद्यालय के एक प्रकल्प के रूप में भारतीय अनुवाद संघ की स्थापना की गई है,जिसके माध्यम से ज्ञान-विज्ञान के विभिन्न विषयों पर हिंदी में लेखन और अनुवाद का कार्य वृहद स्तर पर किया जाना है। नई शिक्षा नीति के अंतर्गत मातृभाषाओं के माध्यम से शिक्षा देने में संघ एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने जा रहा है।
संगोष्ठी के विशिष्ट वक्ता असम विश्वविद्यालय (सिलचर) के हिंदी अधिकारी डॉ. सुरेन्द्र कुमार उपाध्याय ने राजभाषा के कार्यान्वयन पर अपनी बात रखी।
संगोष्ठी में ऑनलाइन माध्यम से ५०० से अधिक हिंदीप्रेमी शामिल हुए। संचालन पत्रिका के प्रधान सम्पादक डॉ. शैलेश शुक्ला ने किया।

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