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नेह प्यासे आज पनघट

बाबूलाल शर्मा
सिकंदरा(राजस्थान)
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(रचना शिल्प:मापनी-२१२२ २१२२, २१२२ २१२२)

घाट तीरथ सभ्यताएँ,स्वाति सम तरसे किनारे,
चंद्र रवि शशि मेघ नीरस,ताकते नभ से सितारे।
खींच तन से रक्त भू का,क्यूँ उलीचा तोय मानुष,
खेत प्यासे पेड़ प्राणी,आज पंछी मौन सारेll

शर्म आँखों की गई वह,भूमि-जल संगत सरूरी,
घाट-गागर में ठनी है,आज क्यूँ तन नेह दूरी।
हे छलावे दानवी मन,सत्य का पथ छोड़ने से,
नेह हारा नीर हारा,प्रीत की बाजी कसूरीll

कूप नदियाँ ताल बापी,घाट वे जल नेह जमघट,
स्रोत रीते हो गये सब,नेह प्यासे आज पनघट।
आपदा को दे निमंत्रण,मर्त्य निज सपने सँजोए,
बोतलों में बन्द पनघट,याद भूलें कान्ह नटखटll

वारि बिन वन पेड़ पौधे,जीव जंगम खेत सूने,
रेत पत्थर ईंट गारे,नीड़ सड़कें नित्य दूने।
आज वसुधा रो रही माँ,देख सुत करतूत काली,
जल प्रदूषण भूलता नर,चल दिया आकाश छूनेll

नीर नयनों से निकलता,सागरों में बाढ़ आती,
सूखते बहु ताल नदियाँ,बाढ़ विप्लव गान गाती।
मानवी हर भूल माँगे,त्रासदी बन मूल्य समझो,
नीर दोहन देख भू की,धड़कती है आज छातीll

आज मानव विश्व भर का,काल से बे हाल रोता,
रोग के आगोश में जो,भीरु नर निज प्राण खोता।
है विकल प्राकृत धरा नभ,चंद्र तारक सूर्य देखो,
होड़ के तम पंथ नाशक,बीज मानव आप बोताll

परिचय : बाबूलाल शर्मा का साहित्यिक उपनाम-बौहरा हैl आपकी जन्मतिथि-१ मई १९६९ तथा जन्म स्थान-सिकन्दरा (दौसा) हैl वर्तमान में सिकन्दरा में ही आपका आशियाना हैl राजस्थान राज्य के सिकन्दरा शहर से रिश्ता रखने वाले श्री शर्मा की शिक्षा-एम.ए. और बी.एड. हैl आपका कार्यक्षेत्र-अध्यापन(राजकीय सेवा) का हैl सामाजिक क्षेत्र में आप `बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ` अभियान एवं सामाजिक सुधार के लिए सक्रिय रहते हैंl लेखन विधा में कविता,कहानी तथा उपन्यास लिखते हैंl शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र में आपको पुरस्कृत किया गया हैl आपकी नजर में लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः हैl

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