श्रीकांत मनोहरलाल जोशी ‘घुंघरू’
मुम्बई (महाराष्ट्र)
***************************************************************************
पहला प्यार कभी भुलाया नहीं जाता,
लोग उसे बेवफा कहते हैं,हमसे कहा नहीं जाताl
मन्नतें जाने कितनी मांगी थी मैंने,
अब इन आँखों से रोया नहीं जाताl
तू ही सिर्फ तू मेरा क्यूँ ना हूआ,
अब कोई रिश्ता निभाया नहीं जाताl
दिल को बहलाने के जाने कितने बहाने हैं,
अब झूठ का सहारा लिया नहीं जाताl
हवा सूनी रात अकेली,गुमनाम ये शहर लगता है,
कैसे छोड़ूँ तेरा दर,छोड़ा नहीं जाताl
अब दोबारा मुहब्बत ना होगी हमसे,
तुमसे प्यार है,किसी से कहा नहीं जाताll
परिचय-श्रीकांत मनोहरलाल जोशी का साहित्यिक उपनाम `घुंघरू` हैl जन्म ४ अप्रैल १९७८ में मथुरा में हुआ हैl आपका स्थाई निवास पूर्व मुंबई स्थित विले पार्ले में हैl महाराष्ट्र प्रदेश के श्री जोशी की शिक्षा बी.ए.(दर्शन शास्त्र) और एम.ए.(हिंदी साहित्य) सहित संगीत विशारद(पखावज) हैl कार्यक्षेत्र-नौकरी(एयरलाइंस) हैl लेखन विधा-कविता है। प्राप्त सम्मान में तालमणी प्रमुख है। प्रेरणा पुंज-मनोहरलाल जोशी(पिता)हैंl