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ऐ सितमगर!

शिवेन्द्र मिश्र ‘शिव’
लखीमपुर खीरी(उप्र)
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ऐ सितमगर! क्यों हमें अपना बनाया आपने।
चैन मेरा इस कदर दिल का चुराया आपने।

रात भर यादें तुम्हारी अब जगाती हैं मुझे-
रोग चाहत का अज़ब कैसा लगाया आपने।

टूटती अब जा रही हैं ख़्वाहिशें दिल की मेरी,
बेवज़ह दिल को हमारे क्यों चुराया आपने।

पास मेरे आपको आना न था तो क्यों सनम,
सिलसिला ये प्यार का फिर क्यों बढा़या आपने।

खेलना ही था हमारे,जब तुम्हें जज़्बात से,
क्यों वफा के ख़्वाब आँखों में सजाया आपने।

यूँ तड़पता छोड़कर जाना ही था ‘शिव’ को अगर-
छीनकर खुशियाँ हमारी क्यों रुलाया आपने।

खुश रहो तुम यह दुआ बस दिल हमारा कर रहा,
हमसफ़र खुद दर्द का हमको बनाया आपने॥

परिचय- शिवेन्द्र मिश्र का साहित्यिक उपनाम ‘शिव’ है। १० अप्रैल १९८९ को सीतापुर(उप्र)में जन्मे शिवेन्द्र मिश्र का स्थाई व वर्तमान बसेरा मैगलगंज (खीरी,उप्र)में है। इन्हें हिन्दी व अंग्रेजी भाषा का ज्ञान है। जिला-लखीमपुर खीरी निवासी शिवेन्द्र मिश्र ने परास्नातक (हिन्दी व अंग्रेजी साहित्य) तथा शिक्षा निष्णात् (एम.एड.)की पढ़ाई की है,इसलिए कार्यक्षेत्र-अध्यापक(निजी विद्यालय)का है। आपकी लेखन विधा-मुक्तक,दोहा व कुंडलिया है। इनकी रचनाएँ ५ सांझा संकलन(काव्य दर्पण,ज्ञान का प्रतीक व नई काव्यधारा आदि) में प्रकाशित हुई है। इसी तरह दैनिक समाचार पत्र व विभिन्न पत्रिकाओं में भी प्रकाशित हैं। प्राप्त सम्मान-पुरस्कार देखें तो विशिष्ट रचना सम्मान,श्रेष्ठ दोहाकार सम्मान विशेष रुप से मिले हैं। श्री मिश्र की लेखनी का उद्देश्य-हिंदी भाषा की सेवा करना है। आप पसंदीदा हिन्दी लेखक कुंडलियाकार श्री ठकुरैला व कुमार विश्वास को मानते हैं,जबकि कई श्रेष्ठ रचनाकारों को पढ़ कर सीखने का प्रयास करते हैं। विशेषज्ञता-दोहा और कुंडलिया केa अल्प ज्ञान की है। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार(दोहा)-
‘हिन्दी मानस में बसी,हिन्दी से ही मान।
हिन्दी भाषा प्रेम की,हिन्दी से पहचान॥’

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