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दर्द

डॉ. वंदना मिश्र ‘मोहिनी’
इन्दौर(मध्यप्रदेश)
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कितनी अजीब तरह से कराहती हुई चिल्ला रही है…। तभी अंदर से दादी बोली-“अरे! सुन गुड़िया इस कुत्ते को भगा,किस तरह से रो रहा है यह! अपशगुन होता है।”
“दादी कुत्ता नहीं,काली कुत्ती है जिसने अभी बच्चे दिए थे सामने के बंद पड़े घर में,वो है।”
“अच्छा,तो भगा उसको कैसे अजीब तरह से रो रही। राम-राम कितना डर-सा लग रहा है।”
गुड़िया ने देखा-पड़ोस की पारिख आंटी उसे पत्थर मार कर भगा रही थीं। दादी भी डंडा लेकर बाहर आयी,तभी सामने रहने वाली बुज़ुर्ग महिला जिसे पूरा मोहल्ला ‘काकी’ कहता था। वो अकेली रहती थी,सब कहते हैं,वो पगली है। उसका जवान बेटा था,जो दुर्घटना में मारा गया। काका भी चल बसे,अब वो अकेली रह गई थी। बाहर आते हुए बोली-“अरे,क्यो मारते हो। उसके दर्द को समझो,वो एक माँ है।”
“क्यों क्या हुआ ?”-पारिख आंटी बोली।
“कल उसके एक पिल्ले को गाड़ी वाले ने कुचल दिया,इसलिये देखो आज वो कब से उसी स्थान पर बैठ कर रो रही है।” दादी के हाथ से डंडा गिर गया…वह सिहर गई।
गुड़िया बोली-‘वो छोटा-सा भूरा वाला काकी!’
‘हाँ,वही।’ ऐसा बोलते हुए काकी उस काली कुत्ती की पीठ पर हाथ फेरने लगी। मानो उसके दर्द को अपने अंदर समेट लेना चाहती हो। काली कुत्ती की आँखों से आँसू बह रहे थे,और काकी की आँखें भी डबडबा रही थी। आखिर दोनों का दर्द एक था,दोनों ही माँ थी।

परिचय-डॉ. वंदना मिश्र का वर्तमान और स्थाई निवास मध्यप्रदेश के साहित्यिक जिले इन्दौर में है। उपनाम ‘मोहिनी’ से लेखन में सक्रिय डॉ. मिश्र की जन्म तारीख ४ अक्टूबर १९७१ और जन्म स्थान-भोपाल है। हिंदी का भाषा ज्ञान रखने वाली डॉ. मिश्र ने एम.ए. (हिन्दी),एम.फिल.(हिन्दी)एवं एम.एड.सहित पी-एच.डी. की शिक्षा ली है। कार्यक्षेत्र- शिक्षण (नौकरी)है। लेखन विधा-कविता,लेख और लघुकथा है। आपकी रचनाओं का प्रकाशन कुछ पत्रिकाओं ओर समाचार पत्र में हुआ है। इनको ‘श्रेष्ठ शिक्षक’ सम्मान मिला है। आप ब्लॉग पर भी लिखती हैं। लेखनी का उद्देश्य-समाज की वर्तमान पृष्ठभूमि पर लिखना और समझना है। अम्रता प्रीतम को पसंदीदा हिन्दी लेखक मानने वाली ‘मोहिनी’ के प्रेरणापुंज-कृष्ण हैं। आपकी विशेषज्ञता-दूसरों को मदद करना है। डॉ. मिश्र का जीवन लक्ष्य-अच्छी पुस्तकें लिखना है। देश व हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“हिन्दी की पताका पूरे विश्व में लहराए।”

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