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प्रेम से ही शांति

आरती जैन
डूंगरपुर (राजस्थान)
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विश्व शांति दिवस स्पर्धा विशेष……

विश्व को कब नसीब,
होगा शांति भरा आँचल
कहीं कोरोना तो कहीं,
युद्ध के मंडराए हैं बादलl
इंसान ने प्रकृति को,
प्लास्टिक में लपेटा है
इंसान भी पी.पी.ई. किट,
से प्लास्टिक में सिमटा हैl
चमगादड़ को भी,
इंसान खा जाते हैं
जीव दया की अब,
केवल बची बातें हैंl
मानव ने जो किया,
बदले में वह मिला है,
अपने कर्मों से आज
कोरोना का कु-फूल खिला हैl
अनचाहे जुनून में विश्व,
आज फिर उलझ रहा है
रक्त की होली से हर,
मसला सुलझ रहा हैl
हजार रुपए किलो में,
यहां शांति नहीं बिकती है
प्रेम के लेन-देन से,
यहां शांति मिलती हैl
बेजुबान जीवों को पिंजरे,
में रखने में आता था मजा
अपने ही घर में कैदी बनकर,
आज तुम्हें मिल रही है सजाl
मंजूर है शांति के लिए,
जुनून को गिरवी रखना
हर रोज प्रेम से विश्व,
के घड़े को अब भरनाl
तलवार छोड़ प्रेम,
से करना सीखो हल
तभी मिलेगा तुम्हें,
शांति रूपी अच्छा कलll

परिचय : श्रीमती आरती जैन की जन्म तारीख २४ नवम्बर १९९० तथा जन्म स्थली उदयपुर (राजस्थान) हैL आपका निवास स्थान डूंगरपुर (राजस्थान) में हैL आरती जैन ने एम.ए. सहित बी.एड. की शिक्षा भी ली हैL आपकी दृष्टि में लेखन का उद्देश्य सामाजिक बुराई को दूर करना हैL आपको लेखन के लिए हाल ही में सम्मान प्राप्त हुआ हैL अंग्रेजी में लेखन करने वाली आरती जैन की रचनाएं कई दैनिक पत्र-पत्रिकाओं में लगातार छप रही हैंL आप ब्लॉग पर भी लिखती हैंL

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