डॉ.एन.के. सेठी
बांदीकुई (राजस्थान)
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योग को बनाय अंग होय रोग शोक दूर
जिंदगी बने सुखी शरीर भी सुडौल हो।
शक्ति जीवआत्म को मिले बढ़े सुभक्तिभाव
चित्त शांत आत्म औऱ ईश का सुमेल हो॥
ब्रह्म और जीव का समस्त द्वैध दूर होय
सिर्फ एक भाव चित्त वृत्ति का निरोध हो।
स्वस्थ होय सर्व गात जीव हो तनाव मुक्त
योग से बढ़े उमंग दुःख भी निरुद्ध हो॥
कर्म और ज्ञान योग मेल दोउ होय एक
साथ आय सृष्टि पूर्ण जीव जीव एक हो।
धर्म जाति पंथ भाष देश को मिलाय योग
विश्व है कुटुम्ब एक चित्त भाव नेक हो॥
क्रोध मोह राग द्वेष रोग शोक दूर होय
प्रीति रीति योग है बढ़ाय आत्म शक्ति को।
मुक्त हो तनाव से न आय पास में निराश
कामना रहे न पाय कर्म से विरक्ति को॥
योग से रहे निरोग ये रखे सुयोग्य योग
ज्ञान गंग भी बहे विनाश अंधकार हो।
दीप ज्ञान का जलाय शक्ति अंग अंग आय
योग ईश ध्यान जीव जीव में प्रसार हो॥
स्फूर्ति धार अंग-अंग में बढ़ाय प्रेम भाव
साँस-साँस योग ईश साधना सभी करें।
कालिमा मिटे सभी हमार चित्त शुद्ध होय
भावना विशुद्ध होय योग नित्य ही करें॥
जिंदगी अमोल जान योग ध्यान नित्य मान
ओम जाप ध्यान पूर्ण चित्त से सदा करे।
भक्तिभाव पुष्ट होय आधिव्याधि खत्म होय
ब्रह्मकाल जाग जाय योग नित्य ही करें॥
परिचय-पेशे से अर्द्ध सरकारी महाविद्यालय में प्राचार्य (बांदीकुई,दौसा)डॉ.एन.के. सेठी का बांदीकुई में ही स्थाई निवास है। १९७३ में १५ जुलाई को बांदीकुई (राजस्थान) में जन्मे डॉ.सेठी की शैक्षिक योग्यता एम.ए.(संस्कृत,हिंदी),एम.फिल.,पीएच-डी., साहित्याचार्य,शिक्षा शास्त्री और बीजेएमसी है। शोध निदेशक डॉ.सेठी लगभग ५० राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में विभिन्न विषयों पर शोध-पत्र वाचन कर चुके हैं,तो कई शोध पत्रों का अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशन हुआ है। पाठ्यक्रमों पर आधारित लगभग १५ व्याख्यात्मक पुस्तक प्रकाशित हैं। कविताएं विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। आपका साहित्यिक उपनाम ‘नवनीत’ है। हिंदी और संस्कृत भाषा का ज्ञान रखने वाले राजस्थानवासी डॉ. सेठी सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत कई सामाजिक संगठनों से जुड़ाव रखे हुए हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,गीत तथा आलेख है। आपकी विशेष उपलब्धि-राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में शोध-पत्र का वाचन है। लेखनी का उद्देश्य-स्वान्तः सुखाय है। मुंशी प्रेमचंद पसंदीदा हिन्दी लेखक हैं तो प्रेरणा पुंज-स्वामी विवेकानंद जी हैं। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-
‘गर्व हमें है अपने ऊपर,
हम हिन्द के वासी हैं।
जाति धर्म चाहे कोई हो
हम सब हिंदी भाषी हैं॥’