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समाज को एक नई दिशा देने का कार्य निरंतर जारी रखा है कवियों ने

आनलाईन कवि सम्मेलन……

नागदा(मप्र)।

आज की कठिन परिस्थितियों में कवियों ने अपनी रचनाधर्मिता द्वारा समाज को एक नई दिशा देने का कार्य निरंतर जारी रखा है। कभी श्रृंगार तो कभी देश भक्ति तो कभी राधाकृष्ण के प्रेम को अपने काव्य के माध्यम से बखूबी उकेरा है।
शिक्षाविद् बी .के. शर्मा ने राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना द्वारा आयोजित आन लाइन कवि सम्मेलन में यह विचार व्यक्त किए। सम्मेलन के प्रारंभ में म.प्र. राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के उपाध्यक्ष एवं साहित्यकार सुन्दरलाल जोशी ‘सूरज’ ने मधुर सरस्वती वंदना के साथ श्रृंगार से अलंकृत पंक्तियाँ पढ़ीं-
‘नख से शिख सुंदर लगे,वसन अंग नवरंग। कनक करधनी कामिनी,सुन गीतों को दंग॥’
संचेतना प्रवक्ता डॉ. शालिनी शर्मा(बरेली) ने इन पंक्तियों पर खूब दाद बटोरी-
‘रूठने की अजीब अदा तुमने पाई,कयामत हुआ है मनाना तुम्हारा।
न इस बात से तुम परेशान होना,हमेशा रहेगा जमाना तुम्हारा॥’
सुन्दरलाल जोशी ने बताया कि,संचालन करते हुए कवियित्री डॉ. दीपिका सुतोदिया (गुवाहाटी) ने राधाकृष्ण के प्रेम को पंक्तियों में उकेर कर समां बांध दिया।
इंदौर की रागिनी शर्मा ने कृष्ण को रसराज कहकर सबका दिल जीत लिया। इसी प्रकार गाजियाबाद की कवियित्री तुलिका सेठ ने अपनी ग़ज़लों से सबको भाव-विभोर कर दिया। मंजू रस्तोगी (चैन्नई),प्रभा बैरागी (उज्जैन),कुमु जोशी(नोएडा),प्रियंका द्विवेदी (प्रयागराज),डॉ. रेणु सिरोया(उदयपुर) एवं पायल परदेशी(महू)ने भी अपनी रचनाओं से सम्मेलन को ऊचाईयां दी।
अध्यक्षता करते हुए संचेतना के अध्यक्ष डॉ. प्रभु चौधरी ने साहित्यकारों की वर्तमान परिप्रेक्ष्य में महती भूमिका को रेखांकित किया। स्वागत उद्बोधन राकेश छोकर (दिल्ली)ने दिया। आभार सचिव रागिनी स्वर्णकार ने माना।

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