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पत्नी के कटु वचनों से बने तुलसीदास

इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’
ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर)

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महाकवि गोस्वामी तुलसीदास (२४ जुलाई) जयंती स्पर्धा विशेष

महाकवि गोस्वामी तुलसीदास के जन्म स्थान के सम्बन्ध में विद्वानों में मतभेद हैं,लेकिन प्रचलित रुप से महाकवि तुलसीदास जी का जन्म चित्रकूट जिले के राजापुर ग्राम में माना जाता है। वह ब्राम्हण थे और उनके बचपन का नाम तुलाराम था, किन्तु जन्म के समय उनके मुख से ‘राम’ शब्द निकलने पर उन्हें रामबोला भी कहते थे। उनकी आस्था परमात्मा श्रीराम प्रभु में थी।
मुँह में जन्म के समय पूरे ३२ दांत होने के कारण अशुभ मानते हुए माता-पिता ने उन्हें त्याग दिया था। फलस्वरूप उनका पालन-पोषण एक चुनिया नाम की दासी ने किया था। उनके गुरु नरहरिदास थे,जिनसे उन्होंने काशी में ज्ञान एवं भक्ति की शिक्षा प्राप्त की थी।
उनका विवाह रत्नावली से हुआ था। वह पत्नी-प्रेम में पागल की सीमा तक लिप्त थे,जिसका प्रमाण पत्नी के मायके जाने पर उनका अर्ध रात्रि में आंधी-तूफान की परवाह न करते हुए ससुराल पहुंच जाने से प्राप्त होता है। उस घटना पर पत्नी के कटु वचनों द्वारा उनका हृदय परिवर्तित हुआ और मन में वैराग्य उत्पन हुआ। ऐसा कहा जाता है कि,वह पत्नी की प्रेरणा से घर से विरक्त होकर तीर्थयात्रा के लिए निकल पड़े थे। वह तन-मन से भगवान राम की भक्ति में लीन हो गए। माना यह भी जाता है कि वह राम जी के दर्शन पाते हुए महाकवि गोस्वामी तुलसीदास बन कर उभरे। उन्होंने ब्रज तथा अवधी भाषा में रामचरितमानस,कवितावली,दोहावली, विनय पत्रिका,रामलला नहछू,गीतावली आदि जैसे अनेक महाकाव्य लिखे और ‘राम-राम’ का जप करते हुए काशी में ही स्वर्ग सिधार गए।

परिचय–इंदु भूषण बाली का साहित्यिक उपनाम `परवाज़ मनावरी`हैl इनकी जन्म तारीख २० सितम्बर १९६२ एवं जन्म स्थान-मनावर(वर्तमान पाकिस्तान में)हैl वर्तमान और स्थाई निवास तहसील ज्यौड़ियां,जिला-जम्मू(जम्मू कश्मीर)हैl राज्य जम्मू-कश्मीर के श्री बाली की शिक्षा-पी.यू.सी. और शिरोमणि हैl कार्यक्षेत्र में विभिन्न चुनौतियों से लड़ना व आलोचना है,हालाँकि एसएसबी विभाग से सेवानिवृत्त हैंl सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत आप पत्रकार,समाजसेवक, लेखक एवं भारत के राष्ट्रपति पद के पूर्व प्रत्याशी रहे हैंl आपकी लेखन विधा-लघुकथा,ग़ज़ल,लेख,व्यंग्य और आलोचना इत्यादि हैl प्रकाशन में आपके खाते में ७ पुस्तकें(व्हेयर इज कांस्टिट्यूशन ? लॉ एन्ड जस्टिस ?(अंग्रेजी),कड़वे सच,मुझे न्याय दो(हिंदी) तथा डोगरी में फिट्’टे मुँह तुंदा आदि)हैंl कई अख़बारों में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैंl लेखन के लिए कुछ सम्मान भी प्राप्त कर चुके हैंl अपने जीवन में विशेष उपलब्धि-अनंत मानने वाले परवाज़ मनावरी की लेखनी का उद्देश्य-भ्रष्टाचार से मुक्ति हैl प्रेरणा पुंज-राष्ट्रभक्ति है तो विशेषज्ञता-संविधानिक संघर्ष एवं राष्ट्रप्रेम में जीवन समर्पित है।

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