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सत्ता उलट-पुलट के अर्थ

डॉ.वेदप्रताप वैदिक
गुड़गांव (दिल्ली) 
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महाराष्ट्र में रातों-रात जो सत्ता-पलट हुआ था,वह अब सत्ता-उलट हो गया है। पहले अजित पवार का इस्तीफा हुआ। फिर देवेंद्र फडनवीस का भी इस्तीफा हो गया। क्यों नहीं होता ?, अजित पवार के उप-मुख्यमंत्री पद पर ही फडनवीस का मुख्यमंत्री पद टिका हुआ था। फडनवीस के इस्तीफे की वजह से अब विधान-सभा में शक्ति-परीक्षण की जरुरत नहीं होगी। सर्वोच्च न्यायालय ने शक्ति-परीक्षण का आदेश जारी करके अपनी निष्पक्षता जरुर सिद्ध कर दी है,लेकिन क्या किसी लोकतंत्र के लिए यह शर्म की बात नहीं है कि, १८८ विधायकों को सिर्फ ३ जजों ने नाच नचा दिया ? अदालत ऊपर हो गई और जनता के प्रतिनिधि नीचे हो गए। महाराष्ट्र की विधानसभा में यदि शक्ति परीक्षण होता तो भाजपा की इज्जत पैंदे में बैठ जाती। इसीलिए इस्तीफा देकर फडनवीस ने अच्छा किया लेकिन भाजपा को इस घटना ने जबर्दस्त धक्का लगा दिया है। शिव सेना,राकांपा और कांग्रेस के मुंबई में साथ आने का एक संदेश यह भी है कि दिल्ली की भाजपा सरकार के खिलाफ भारत की सभी पार्टियां एक होने में नहीं चूकेंगी। मोदी के लिए यह बड़ी चुनौती होगी। फडनवीस और अजित पवार को जो आनन-फानन शपथ दिलाई गई थी,उससे प्रधानमंत्री,राष्ट्रपति, महाराष्ट्र के राज्यपाल और भाजपा अध्यक्ष की छवि भी विकृत हुए बिना नहीं रहेगी। यदि फडनवीस की सरकार बन जाती तब भी उसका परिणाम यही होता। यदि सत्ता-पलट का यह क्षणिक नाटक नहीं होता और विपक्ष के ‘अप्राकृतिक’ गठबंधन की सरकार बन जाती तो फडनवीस के प्रति महाराष्ट्र की सहानुभूति बढ़ जाती। अब विपक्ष का यह गठबंधन पहले से ज्यादा मजबूत हो गया है,हालांकि इसके आतंरिक अन्तर्विरोध इतने गहरे हैं कि यह पांच साल तक ठीक से चल पाएगा या नहीं,यह कहना अभी मुश्किल है।

परिचय-डाॅ.वेदप्रताप वैदिक की गणना उन राष्ट्रीय अग्रदूतों में होती है,जिन्होंने हिंदी को मौलिक चिंतन की भाषा बनाया और भारतीय भाषाओं को उनका उचित स्थान दिलवाने के लिए सतत संघर्ष और त्याग किया। पत्रकारिता सहित राजनीतिक चिंतन, अंतरराष्ट्रीय राजनीति और हिंदी के लिए अपूर्व संघर्ष आदि अनेक क्षेत्रों में एकसाथ मूर्धन्यता प्रदर्शित करने वाले डाॅ.वैदिक का जन्म ३० दिसम्बर १९४४ को इंदौर में हुआ। आप रुसी, फारसी, जर्मन और संस्कृत भाषा के जानकार हैं। अपनी पीएच.डी. के शोध कार्य के दौरान कई विदेशी विश्वविद्यालयों में अध्ययन और शोध किया। अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त करके आप भारत के ऐसे पहले विद्वान हैं, जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय राजनीति का शोध-ग्रंथ हिन्दी में लिखा है। इस पर उनका निष्कासन हुआ तो डाॅ. राममनोहर लोहिया,मधु लिमये,आचार्य कृपालानी,इंदिरा गांधी,गुरू गोलवलकर,दीनदयाल उपाध्याय, अटल बिहारी वाजपेयी सहित डाॅ. हरिवंशराय बच्चन जैसे कई नामी लोगों ने आपका डटकर समर्थन किया। सभी दलों के समर्थन से तब पहली बार उच्च शोध के लिए भारतीय भाषाओं के द्वार खुले। श्री वैदिक ने अपनी पहली जेल-यात्रा सिर्फ १३ वर्ष की आयु में हिंदी सत्याग्रही के तौर पर १९५७ में पटियाला जेल में की। कई भारतीय और विदेशी प्रधानमंत्रियों के व्यक्तिगत मित्र और अनौपचारिक सलाहकार डॉ.वैदिक लगभग ८० देशों की कूटनीतिक और अकादमिक यात्राएं कर चुके हैं। बड़ी उपलब्धि यह भी है कि १९९९ में संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत का प्रतिनिधित्व किया है। आप पिछले ६० वर्ष में हजारों लेख लिख और भाषण दे चुके हैं। लगभग १० वर्ष तक समाचार समिति के संस्थापक-संपादक और उसके पहले अखबार के संपादक भी रहे हैं। फिलहाल दिल्ली तथा प्रदेशों और विदेशों के लगभग २०० समाचार पत्रों में भारतीय राजनीति और अंतरराष्ट्रीय राजनीति पर आपके लेख निरन्तर प्रकाशित होते हैं। आपको छात्र-काल में वक्तृत्व के अनेक अखिल भारतीय पुरस्कार मिले हैं तो भारतीय और विदेशी विश्वविद्यालयों में विशेष व्याख्यान दिए एवं अनेक अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलनों में भारत का प्रतिनिधित्व किया है। आपकी प्रमुख पुस्तकें- ‘अफगानिस्तान में सोवियत-अमेरिकी प्रतिस्पर्धा’, ‘अंग्रेजी हटाओ:क्यों और कैसे ?’, ‘हिन्दी पत्रकारिता-विविध आयाम’,‘भारतीय विदेश नीतिः नए दिशा संकेत’,‘एथनिक क्राइसिस इन श्रीलंका:इंडियाज आॅप्शन्स’,‘हिन्दी का संपूर्ण समाचार-पत्र कैसा हो ?’ और ‘वर्तमान भारत’ आदि हैं। आप अनेक राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों और सम्मानों से विभूषित हैं,जिसमें विश्व हिन्दी सम्मान (२००३),महात्मा गांधी सम्मान (२००८),दिनकर शिखर सम्मान,पुरुषोत्तम टंडन स्वर्ण पदक, गोविंद वल्लभ पंत पुरस्कार,हिन्दी अकादमी सम्मान सहित लोहिया सम्मान आदि हैं। गतिविधि के तहत डॉ.वैदिक अनेक न्यास, संस्थाओं और संगठनों में सक्रिय हैं तो भारतीय भाषा सम्मेलन एवं भारतीय विदेश नीति परिषद से भी जुड़े हुए हैं। पेशे से आपकी वृत्ति-सम्पादकीय निदेशक (भारतीय भाषाओं का महापोर्टल) तथा लगभग दर्जनभर प्रमुख अखबारों के लिए नियमित स्तंभ-लेखन की है। आपकी शिक्षा बी.ए.,एम.ए. (राजनीति शास्त्र),संस्कृत (सातवलेकर परीक्षा), रूसी और फारसी भाषा है। पिछले ३० वर्षों में अनेक भारतीय एवं विदेशी विश्वविद्यालयों में अन्तरराष्ट्रीय राजनीति एवं पत्रकारिता पर अध्यापन कार्यक्रम चलाते रहे हैं। भारत सरकार की अनेक सलाहकार समितियों के सदस्य,अंतरराष्ट्रीय राजनीति के विशेषज्ञ और हिंदी को विश्व भाषा के रूप में प्रतिष्ठित करने के लिए कृतसंकल्पित डॉ.वैदिक का निवास दिल्ली स्थित गुड़गांव में है।

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