पूनम दुबे
सरगुजा(छत्तीसगढ़)
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भ्रम टूटा जब अपनों से,
दुःख से दामन भर गए…
ऐसी चोट लगी दिल पर,
सारे सपने बिखर गए।
भ्रम टूटा…
अपनों ने आँसू दिए,
गैरों से मुस्कान मिली…
ढूंढे दिल मेरा घनी छांव,
पर दिलबर से धोखे मिले।
भ्रम टूटा…
हर चेहरा आशंकित है,
कैसे दिल पहचान करे…
रिश्तों की जो डोर बंधी,
कैसे प्रेम नजर आए।
भ्रम टूटा…
अपनापन जताकर वो,
दिल से खेले तोड़ दिया…
कभी गैरों से-कभी अपनों से,
मजबूरी का जाल बिछाए।
भ्रम टूटा…
चंद साँसों की जिंदगी में,
गैरों की क्यों खुशियां छीनें,
विरह वेदना समझ सको तो,
उसे ही अपने घर ले आए।
भ्रम टूटा तो…
उदासी कैसी छाई है,
खुशियां शहर में खो गई…
भीड़ हुई है हजारों की,
कोई डगर नजर न आए॥
भ्रम टूटा तो…
भ्रम टूटा तो…
परिचय-श्रीमती पूनम दुबे का बसेरा अम्बिकापुर,सरगुजा(छत्तीसगढ़)में है। गहमर जिला गाजीपुर(उत्तरप्रदेश)में ३० जनवरी को जन्मीं और मूल निवास-अम्बिकापुर में हीं है। आपकी शिक्षा-स्नातकोत्तर और संगीत विशारद है। साहित्य में उपलब्धियाँ देखें तो-हिन्दी सागर सम्मान (सम्मान पत्र),श्रेष्ठ बुलबुल सम्मान,महामना नवोदित साहित्य सृजन रचनाकार सम्मान( सरगुजा),काव्य मित्र सम्मान (अम्बिकापुर ) प्रमुख है। इसके अतिरिक्त सम्मेलन-संगोष्ठी आदि में सक्रिय सहभागिता के लिए कई सम्मान-पत्र मिले हैं।