कुल पृष्ठ दर्शन : 431

You are currently viewing राम का नाम करे भवपार

राम का नाम करे भवपार

डॉ.एन.के. सेठी
बांदीकुई (राजस्थान)

*************************************************************************

(रचना शिल्प:१६ मात्रिक छन्द-आदि में ३,२त्रिकल द्विकल अंत में २,३द्विकल त्रिकल दो-दो चरण सम तुकांत चार चरण का एक छन्द)

अवध के प्यारे हैं श्री राम,
जगत में न्यारे हैं श्री राम।
राम हैं सकल गुणों की खान,
करें हम राघव का गुणगान।

राम हैं मर्यादा आदर्श,
राम लाते जीवन में हर्ष।
राम है पावनता का नाम,
राम में पाते हम विश्राम।

राम ने दिया जगत को ज्ञान,
राम हैं हम सबकी पहचान।
राम हैं त्याग धैर्य दृष्टांत,
राम हैं अहंकार का अंत।

राम ही करें शोक का नाश,
राम ही आस और विश्वास।
राम ने स्वयं लिया वनवास,
राम का कण-कण में है वास।

राम का रखो हृदय में वास,
करें हम सब रावण का नाश।
राम हैं दुर्बलता का अंत,
राम ही इस जग में बलवंत।

राम ही करते जग उद्धार,
राम हैं विजय नहीं है हार।
राम ही करते जग कल्याण,
राम में जीवन पाता त्राण।

राम से हुई सृष्टि भी धन्य,
राम सम नहीं जगत में अन्य।
राम हैं जन-जन के आराध्य,
राम हैं इस जग के सुखसाध्य।

राम ने किया सुखों का त्याग,
लोकहित में किया परित्याग।
राम ने किया नारि सम्मान,
राम ने रखा पिता का मान।

राम हैं रघुवंशी अभिमान,
राम हैं भारत की पहचान।
राम का नाम करे भवपार,
राम हैं इस जग के आधार।

राम ने किया असुर संहार,
राम ही दुर्बल का आधार।
राम को अपनाओ इक बार,
राम है जीवन का ही सार।

परिचय-पेशे से अर्द्ध सरकारी महाविद्यालय में प्राचार्य (बांदीकुई,दौसा)डॉ.एन.के. सेठी का बांदीकुई में ही स्थाई निवास है। १९७३ में १५ जुलाई को बांदीकुई (राजस्थान) में जन्मे डॉ.सेठी की शैक्षिक योग्यता एम.ए.(संस्कृत,हिंदी),एम.फिल.,पीएच-डी., साहित्याचार्य,शिक्षा शास्त्री और बीजेएमसी है। शोध निदेशक डॉ.सेठी लगभग ५० राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में विभिन्न विषयों पर शोध-पत्र वाचन कर चुके हैं,तो कई शोध पत्रों का अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशन हुआ है। पाठ्यक्रमों पर आधारित लगभग १५ व्याख्यात्मक पुस्तक प्रकाशित हैं। कविताएं विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। आपका साहित्यिक उपनाम ‘नवनीत’ है। हिंदी और संस्कृत भाषा का ज्ञान रखने वाले राजस्थानवासी डॉ. सेठी सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत कई सामाजिक संगठनों से जुड़ाव रखे हुए हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,गीत तथा आलेख है। आपकी विशेष उपलब्धि-राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में शोध-पत्र का वाचन है। लेखनी का उद्देश्य-स्वान्तः सुखाय है। मुंशी प्रेमचंद पसंदीदा हिन्दी लेखक हैं तो प्रेरणा पुंज-स्वामी विवेकानंद जी हैं। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-
‘गर्व हमें है अपने ऊपर,
हम हिन्द के वासी हैं।
जाति धर्म चाहे कोई हो 
हम सब हिंदी भाषी हैं॥’

Leave a Reply