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बचाओ जल को

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’
बिलासपुर (छत्तीसगढ़)

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ज से जल जीवन स्पर्धा विशेष…

बचाओ जल को अगर है जीना,
बगैर जल के मिटेगा जीवन।
शरीर जल से,जमीन जल से,
सहारे इनके बचे ये जीवन।
बचाओ जल को…

दहकती धरती,बिगड़ते मौसम,
करे है जल ही सभी का पोषण।
बहारें सजती नहीं कहीं भी,
हैं सूखे पनघट,सजे न मधुबन।
बचाओ जल को…

‘ज’ से है जीवन,’ज’ से जमीं भी,
‘ज’ से बने है ये शब्द जल भी।
दिए हैं ‘रब’ ने हमें ये तीनों,
बने सहारा सभी के तीनों।
बचाओ जल को…

शरीर में जल है तीन हिस्से,
जमीन के भी यही तो किस्से।
हरेक से है सहारा सबको,
तभी तो दोनों बिना न जीवन।
बचाओ जल को…॥

परिचय-हीरा सिंह चाहिल का उपनाम ‘बिल्ले’ है। जन्म तारीख-१५ फरवरी १९५५ तथा जन्म स्थान-कोतमा जिला- शहडोल (वर्तमान-अनूपपुर म.प्र.)है। वर्तमान एवं स्थाई पता तिफरा,बिलासपुर (छत्तीसगढ़)है। हिन्दी,अँग्रेजी,पंजाबी और बंगाली भाषा का ज्ञान रखने वाले श्री चाहिल की शिक्षा-हायर सेकंडरी और विद्युत में डिप्लोमा है। आपका कार्यक्षेत्र- छत्तीसगढ़ और म.प्र. है। सामाजिक गतिविधि में व्यावहारिक मेल-जोल को प्रमुखता देने वाले बिल्ले की लेखन विधा-गीत,ग़ज़ल और लेख होने के साथ ही अभ्यासरत हैं। लिखने का उद्देश्य-रुचि है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-कवि नीरज हैं। प्रेरणापुंज-धर्मपत्नी श्रीमती शोभा चाहिल हैं। इनकी विशेषज्ञता-खेलकूद (फुटबॉल,वालीबाल,लान टेनिस)में है।

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