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रोम-रोम में राम

राजकुमार अरोड़ा ‘गाइड’
बहादुरगढ़(हरियाणा)
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बरसों से ही बसे हुए हैं,हम सबके रोम-रोम में राम,
राम का नाम लेते ही देखो,कितना आ जाता आराम।

सदियों से हम तो करते अभिवादन,कह के राम-राम,
राम राम ही रटते रहो,इसी से मिल जाते हैं चारों धाम।

राम के नाम पर ही लड़ते रहे,भूल गये बाकी, तुम सब काम,
अपरम्पार है राम की महिमा,करते रहो,क्या लगता है दाम।

कृष्ण हो या करीम,राम हो या रहमान,क्या फर्क है,
लहू एक है,रंग भी कहाँ भिन्न,फिर ये कैसा तर्क है।

राम हो या अल्लाह,एक नूर से ही तो सब उपजा है,
मंदिर-मस्जिद की तकरार में ये कैसी मिल रही सज़ा है।

बरसों से चुभ रही थी एक चुभन,हृदय में बन कर शूल,
आई घड़ी सुहानी तो खिलखिला उठे खुशियों के फूल।

कण-कण में ही तो हैं राम विराजत,संग रहते वीर हनुमान हैं,
जो पा जाते इनकी कृपा,उनको राम मिलना हो जाता आसान है।

अब छंटे हैं बादल,अंत हुआ है कई बरसों के अपमान का,
राम मंदिर,मंदिर नहीं,है प्रतीक,राष्ट्रीय स्वाभिमान का।

नमन है,सिया के राम को,घड़ी यह पावन आई है,
पूर्ण हुई,जन अभिलाषा,दिल में खुशियां ही खुशियां छाई हैं।

देखो कितना छा गया मन में उल्लास है,हर साँस में विश्वास है,
राम लला अब आ जायेंगे,अपने आसन पर, खत्म हुआ प्रवास है।

बरसों बाद मन्दिर बनेगा,राम को करना अब वहाँ विश्राम है,
सूरत जो मन्दिर की आँखों में बसी,उसे देखना ही रह गया काम है।

मर्यादा पुरुषोत्तम पर अब नहीं कर पायेगा कोई भी-कैसा ही सवाल,
न्याय मन्दिर के न्याय से रहीम की जुड़ी सहमति तो खत्म हुआ बवाल।

राम सिर्फ नहीं है नाम,यह हमारी आन,बान और शान है।
पूरी दुनिया में मची है,धाक हमारी,यही ही तो हमारी पहचान है॥

परिचय–राजकुमार अरोड़ा का साहित्यिक उपनाम `गाइड` हैl जन्म स्थान-भिवानी (हरियाणा) हैl आपका स्थाई बसेरा वर्तमान में बहादुरगढ़ (जिला झज्जर)स्थित सेक्टर २ में हैl हिंदी और अंग्रेजी भाषा का ज्ञान रखने वाले श्री अरोड़ा की पूर्ण शिक्षा-एम.ए.(हिंदी) हैl आपका कार्यक्षेत्र-बैंक(२०१७ में सेवानिवृत्त)रहा हैl सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत-अध्यक्ष लियो क्लब सहित कई सामाजिक संस्थाओं से जुड़ाव हैl आपकी लेखन विधा-कविता,गीत,निबन्ध,लघुकथा, कहानी और लेख हैl १९७० से अनवरत लेखन में सक्रिय `गाइड` की मंच संचालन, कवि सम्मेलन व गोष्ठियों में निरंतर भागीदारी हैl प्रकाशन के अंतर्गत काव्य संग्रह ‘खिलते फूल’,`उभरती कलियाँ`,`रंगे बहार`,`जश्ने बहार` संकलन प्रकाशित है तो १९७८ से १९८१ तक पाक्षिक पत्रिका का गौरवमयी प्रकाशन तथा दूसरी पत्रिका का भी समय-समय पर प्रकाशन आपके खाते में है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं। प्राप्त सम्मान पुरस्कार में आपको २०१२ में भरतपुर में कवि सम्मेलन में `काव्य गौरव’ सम्मान और २०१९ में ‘आँचलिक साहित्य विभूषण’ सम्मान मिला हैl इनकी विशेष उपलब्धि-२०१७ में काव्य संग्रह ‘मुठ्ठी भर एहसास’ प्रकाशित होना तथा बैंक द्वारा लोकार्पण करना है। राजकुमार अरोड़ा की लेखनी का उद्देश्य-हिंदी भाषा से अथाह लगाव के कारण विभिन्न कार्यक्रमों विचार गोष्ठी-सम्मेलनों का समय समय पर आयोजन करना हैl आपके पसंदीदा हिंदी लेखक-अशोक चक्रधर,राजेन्द्र राजन, ज्ञानप्रकाश विवेक एवं डॉ. मधुकांत हैंl प्रेरणापुंज-साहित्यिक गुरु डॉ. स्व. पदमश्री गोपालप्रसाद व्यास हैं। श्री अरोड़ा की विशेषज्ञता-विचार मन में आते ही उसे कविता या मुक्तक रूप में मूर्त रूप देना है। देश- विदेश के प्रति आपके विचार-“विविधता व अनेकरूपता से परिपूर्ण अपना भारत सांस्कृतिक, धार्मिक, सामाजिक, साहित्यिक, आर्थिक, राजनीतिक रूप में अतुल्य,अनुपम, बेजोड़ है,तो विदेशों में आडम्बर अधिक, वास्तविकता कम एवं शालीनता तो बहुत ही कम है।

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