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वर्षा नीर

बाबूलाल शर्मा
सिकंदरा(राजस्थान)
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रचना शिल्प:३२ वर्ण(८८८८) प्रतिचरण, चार चरण समतुकांत ८,८,८,८ पर यति हो, एवं चारों यति समतुकांत अनिवार्य, चरणांत गुरु लघु २१(गाल)

माने जाने भू की पीर,
साथी सारे हैं जो धीर,
गायें पौधे कागा कीर,
रक्षे भैया वर्षा नीर।

ले कुदाली आओ बीर,
चेतो पानी रक्षा गीर,
वर्षा पानी औ समीर,
गो बचा लें वर्षा नीर।

ध्यानी मानी हैं बे पीर,
पानी है तो है अमीर,
होली रंगोली अबीर,
रक्षें साथी वर्षा नीर।

बापी टाँके नदी तीर,
राखो तो साफ सुधीर,
दोहे गाए थे कबीर,
आओ रक्षे वर्षा नीर।

परिचय : बाबूलाल शर्मा का साहित्यिक उपनाम-बौहरा हैl आपकी जन्मतिथि-१ मई १९६९ तथा जन्म स्थान-सिकन्दरा (दौसा) हैl वर्तमान में सिकन्दरा में ही आपका आशियाना हैl राजस्थान राज्य के सिकन्दरा शहर से रिश्ता रखने वाले श्री शर्मा की शिक्षा-एम.ए. और बी.एड. हैl आपका कार्यक्षेत्र-अध्यापन(राजकीय सेवा) का हैl सामाजिक क्षेत्र में आप `बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ` अभियान एवं सामाजिक सुधार के लिए सक्रिय रहते हैंl लेखन विधा में कविता,कहानी तथा उपन्यास लिखते हैंl शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र में आपको पुरस्कृत किया गया हैl आपकी नजर में लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः हैl

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