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सावन और बचपन

रोशनी दीक्षित
बिलासपुर(छत्तीसगढ़)
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आज शाम से ही मूसलाधार बारिश हो रही है। सड़कों पर धीरे-धीरे पानी भरना शुरू हो गया है। टी.वी. पर भारी बारिश की चेतावनी की खबर आ रही थी। मेरे १० वर्ष के बेटे ने सहसा ही मुझसे पूछ लिया-“मम्मी जो लोग सड़कों पर रहते हैं,जिनके घर नहीं हैं वो लोग क्या करेंगे ? बेटे के सवाल से मैं स्तब्ध रह गई। मुझे अपना बचपन याद आ गया। मैं तब १२ वर्ष की थी। सावन का महीना चल रहा था और उस दिन भी भारी बारिश हो रही थी। घंटों चली इस बारिश से शाम तक सड़क का पानी घर के अंदर घुसने लगा। मम्मी पापा जल्दी-जल्दी नीचे का सामान पलंग और सोफे पर रखने लगे। बिजली भी चली गई थी। देखते ही देखते करीब १ फुट तक पानी सभी कमरों में घुस गया। मैं डर कर मम्मी से चिपक गई। कितनी भयानक थी वो रात। मम्मी-पापा,दीदी और मैं एक ही पलंग पर बैठे थे। तभी मैंने पापा से पूछा-“पापा घर के पीछे जो लोग झोपड़ी में रहते हैं वो क्या कर रहे होंगे ? उनकी हालत तो हमसे भी खराब होगी।” मेरी बात सुनकर पापा ने मुझे गले लगाकर कहा-“सच कहा छुटकी(मुझे प्यार से छुटकी कहते थे,असली नाम पायल) ,वो लोग तो हमसे भी ज्यादा परेशान होंगे। चलो हम सभी ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि सबकी रक्षा करें।”
और हम सब हाथ जोड़कर मन ही मन प्रार्थना करने लगे। थोड़ी देर में बारिश रुक गई और बिजली भी आ गई। घर से पानी खाली होने में करीब २-३ घंटे लग गए थे।
मम्मी-मम्मी बताओ न…। बेटे ने मेरी तंद्रा भंग कर दी। मैंने उससे कहा-“बेटा वो लोग बहुत परेशान होंगे। चलो हम उनके लिए प्रार्थना करते हैं। ईश्वर उनकी रक्षा करें! मैंने और बेटे ने हाथ जोड़कर प्रार्थना शुरू कर दी।

परिचय-रोशनी दीक्षित का जन्म १७ जनवरी १९८० को जबलपुर (मप्र)में हुआ है। वर्तमान बसेरा जिला बिलासपुर (छत्तीसगढ़) स्थित राजकिशोर नगर में है। स्नातक तक शिक्षित रोशनी दीक्षित ने एनटीटी सहित बी.एड. एवं हिंदी साहित्य से स्नातकोत्तर भी किया है। इनका कार्य क्षेत्र-शिक्षिका का है। लेखन विधा-कविता,कहानी,गज़ल है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-हिन्दी भाषा का प्रचार व विकास है।

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