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ये फुटपाथ के बच्चे

दीपक शर्मा

जौनपुर(उत्तर प्रदेश)

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आजकल
जब ट्रेन बंद है,
यात्री नहीं आ रहे
स्टेशन खाली है,
तब सोचता हूँ…
वे फुटपाथ पर रहने वाले बच्चे
कहाँ होंगे इस समय!
जिनके माँ-बाप ने
वर्षों पहले,
उन्हें भेज दिया था शहर
कहकर कि कह देना
कि मेरे माँ-बाप नहीं हैं अब।

उनके मालिक के चांटे,
प्रशासन की लाठी से भी ज्यादा
चोट करती है उनके पीठ पर,
इसलिए ये नहीं बताते
किसी को मालिक का नाम।
यात्रियों का बचा जूठा भोजन,
अब नहीं मिल रहा उन्हें
उनके हाथों
मूँगफली,अखबार,गुब्बारा
अब नहीं खरीदने वाला कोई,
तो कैसे चल रही होगी इनकी आजीविका ?
जबकि स्टेशन पर जाने से रोक है,
कहाँ कर रहे होंगे वे विश्राम ?
कौन दे रहा होगा उनके हाथ पर,
एक रुपए का सिक्का ?

ये फुटपाथ के बच्चे,
जिनके कपड़ों से आती
दुर्गंध से बचने के लिए,
कोई उनके पास नहीं जाता।
जिन्हें कभी टीटी नहीं पकड़ता,
क्योंकि पकड़ लिए जाने पर
देना होता है उन्हें भोजन,
उन्हें पुलिस नहीं पकड़ती
क्योंकि नहीं ऐठ पाती,
उनसे कोई पैसा
सिवाय देने के,
दो-चार बेला का भोजन।
उन पर मुकदमा नहीं चलता,
क्योंकि इनका परिचय
होता है अज्ञात,
बाल-मजदूरी से मुक्त करके
सरकार इन्हें शाला नहीं ले जाती,
क्योंकि मंजूर करना पड़ेगा
इनके लिए अलग से बजट,
रहने,खाने,पढ़ने की व्यवस्था के साथ।

इस ‘तालाबंदी’ में,
परेशान हैं सबसे ज्यादा
वे फुटपाथ के बच्चे।
जिन्हें मीडिया टी.वी. पर नहीं दिखा रही
जिन तक किसी संस्था द्वारा,
खाना नहीं पहुँचाया जा रहा
क्योंकि,
नहीं है जिनका कोई ठिकाना…
नहीं जिनके माई-बाप,
नहीं जिनका कोई मालिक॥

परिचय-दीपक शर्मा का स्थाई निवास जौनपुर के ग्राम-रामपुर(पो.-जयगोपालगंज केराकत) उत्तर प्रदेश में है। आप काशी हिंदू विश्वविद्यालय से वर्ष २०१८ में परास्नातक पूर्ण करने के बाद पद्मश्री पं.बलवंत राय भट्ट भावरंग स्वर्ण पदक से नवाजे गए हैं। फिलहल विद्यालय में सहायक अध्यापक के पद पर कार्यरत हैं।आपकी जन्मतिथि २७ अप्रैल १९९१ है। बी.ए.(ऑनर्स-हिंदी साहित्य) और बी.टी.सी.( प्रतापगढ़-उ.प्र.) सहित एम.ए. तक शिक्षित (हिंदी)हैं। आपकी लेखन विधा कविता,लघुकथा,आलेख तथा समीक्षा भी है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में इनकी कविताएँ व लघुकथा प्रकाशित हैं। विश्वविद्यालय की हिंदी पत्रिका से बतौर सम्पादक भी जुड़े हैं। दीपक शर्मा की लेखनी का उद्देश्य-देश और समाज को नई दिशा देना तथा हिंदी क़ो प्रचारित करते हुए युवा रचनाकारों को साहित्य से जोड़ना है।विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं द्वारा आपको लेखन के लिए सम्मानित किया जा चुका है।

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