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मिट्टी की महक

उमेशचन्द यादव
बलिया (उत्तरप्रदेश) 
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मिट्टी में गुण बहुत हैं,
हरदम इसका मान करें
हमें भी इसमें मिलना है,
खुद पर ना अभिमान करें
यह हरदम हँसती रहती है,
कहीं ना जाना बहकl
यही है मिट्टी की महक…ll

मृदा खूशबू फूलों को देती,
सबको अपने अंक में लेती
मिट्टी की महिमा मिटने में है,
हम क्यों इस पर अभिमान करें
आओ हम सब मिलकर के,
तोड़ें अहं,लें नया सबकl
यही है मिट्टी की महक…ll

कहे `उमेश` मिट्टी की गरिमा,
हमें बनाये रखना है
फसल उगाना पौधे लगाना,
हरियाली बनाये रखना है
नदियाँ बहकर अमृत जल से,
धरा को देतीं नई लहकl
यही है मिट्टी की महक…ll

अपनी मिट्टी में खूशबू है,
इतिहास यह बात बताता है
हमारे गुलाब के पौधे को,
फिरंगी ले जाता है
हिंदी गुलाब की खूशबू को,
पर वे ना पाये महकl
यही है मिट्टी की महक…
यही है मिट्टी की महकll

परिचय-उमेशचन्द यादव की जन्मतिथि २ अगस्त १९८५ और जन्म स्थान चकरा कोल्हुवाँ(वीरपुरा)जिला बलिया है। उत्तर प्रदेश राज्य के निवासी श्री यादव की शैक्षिक योग्यता एम.ए. एवं बी.एड. है। आपका कार्यक्षेत्र-शिक्षण है। आप कविता,लेख एवं कहानी लेखन करते हैं। लेखन का उद्देश्य-सामाजिक जागरूकता फैलाना,हिंदी भाषा का विकास और प्रचार-प्रसार करना है।

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