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`शीशा-ए-‍दिल` ही नहीं, ‘शीशा-ए-दिमाग’ भी मुमकिन…!

अजय बोकिल
भोपाल(मध्यप्रदेश) 

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अभी तक दिल का रिश्ता शीशे से ही हुआ करता था,क्योंकि वह शीशे के माफिक टूट फूट जाता था। गाहे-बगाहे तड़क भी जाता था और कभी भी जुड़ भी जाता था,लेकिन इटली में हुई ताजा खुदाई और विश्लेषण से पता चला है कि इंसानी दिमाग भी शीशे में तब्दील हो सकता है,बशर्ते वैसी परिस्थितियां हों। यानी इसके लिए एक धधकते ज्वालामुखी का लावा,उसकी अंगार राख तथा वक्त का एक लंबा स्पेन भी चाहिए। इटली के मशहूर शहर नेपल्स के पास ऐतिहासिक शहर पोम्पेई के पास स्थित हरक्यूलेनियम शहर की खुदाई के दौरान मिले मानव अवशेषों के विश्लेषण से पता चला कि लावे की गर्म राख में पिघलकर एक इंसान का दिमाग २ हजार साल में कांच में तब्दील हो गया। उसकी फटी हुई खोपड़ी में कांच जैसे ऊतक(टिश्यु) मिले। हैरानी की बात यह भी है कि,उस व्यक्ति का दिमाग भले कांच बन गया हो, लेकिन वक्त दिमाग के ऊतक और प्रोटीन को भी नहीं मार सका है। मतलब ये कि हालात माकूल हों तो, दिमाग भी शीशा हो सकता है,उतना ही नाजुक और तड़क जाने की फितरत लिए हुए। यह असाधारण खोज इटली के नेपल्स शहर की फेदेरिको दो यूनिवर्सिटी अस्पताल के प्रो. डाॅ. पीयर पाओलो पे‍त्रोन ने हाल में की है। डाॅ. पे‍त्रोन मानव अस्थिविज्ञान तथा फोरेसिंक नृविज्ञान के प्राध्यापक हैं। बेशक,इस खोज ने पूरी दुनिया को चौंकाया दिया है। अमूमन लोग यही मानते आए हैं कि,मौत के साथ सब-कुछ खत्म हो जाता है। आत्मा भी शरीर छोड़कर कहीं और ठिकाना तलाश लेती है,या फिर प्राण कयामत के दिन फरिश्तों के सवालों का जवाब देने के लिए खुद को किसी कब्र में कैद कर लेते हैं,पर कुदरत ने इंसान के रूप में चीज ही ऐसी बनाई है कि जो मर कर भी पूरी तरह नहीं मरती। इटली के हरक्यूलेनियम और पोम्पेई शहर दो हजार साल पहले हँसते-खेलते आबाद शहर थे,जो लावे में दबकर खत्म हो गए। इन शहरों पर पास में स्थित माउंट वेसुवियस ज्वा‍लामुखी ने कहर बरपाया। अचानक आई इस महाविपदा में ज्वालामुखी के दहकते लावे में लोग जीते-जी दबकर मर गए और उनके जिस्म ने पत्थर के बुत की शक्ल अख्‍तियार कर ली। नेपल्स इलाके में जब भी खुदाई होती है,ऐसी पत्थर में तब्दील लाशें खूब मिलती हैं। हरक्यूलेनियम में भी ऐसा ही हुआ। जो जहां था,जिस हालत में था और वो तमाम चीजें जैसी भी थीं,उसी हालत में कुछ ही पलों में इतिहास में बदल गईं। यह भयानक घटना ईसा पूर्व ७९ वर्ष की है,जब हमारे देश के उत्तरी भाग में कण्व वंश का शासन था।

विज्ञान की ‍डिजीटल साइट ‘लाइव साईन्स’ में प्रकाशित निकोलेट्टा लांसे की रिपोर्ट के अनुसार यह शोध-पत्र हाल में ‘न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन’ में छपा है। इसमें डाॅ. पेत्रोन के हवाले से बताया गया है कि विसुवियस ज्वालामुखी के फटते ही धधकती गैसों और जलती चट्टानों का तूफान आ गया,जिससे हरक्यूलेनियम वासियों का खून उबलने(खौलने नहीं)लगा और शरीर का माँस भाप बनकर उड़ने लगा। कुछ के दिमाग का एक हिस्सा भी कांच जैसे ऊतक में बदल गया। रिपोर्ट के मुताबिक ‍पुरातत्वीय खुदाई में अमूमन पुराविद मानव खोपड़ी और मस्तिष्क को खोल कर नहीं देखते,इस खुदाई के दौरान उन्हें एक ऐसी मानव खोपड़ी मिली, जिसकी जांच से पता चला कि मस्तिष्क गर्म राख में लिपटने से काले छोटे-छोटे टुकड़ों में बंट गया। इसे `विट्रीफिकेशन` कहते हैं। परिणामस्वरूप खोपड़ी की सतह पर कांच जैसी परत जम गई। यानी ऊतक कांच जैसे पदार्थ में बदल गए। डाॅ. पेत्रोन और उनके सहयोगियों ने जांच में पाया ‍कि,धधकते लावे में लिपटने से लोगों का खून उबलने लगा,जिससे खोपड़ी के भीतर भयंकर दबाव बना। नतीजतन खोपड़ियां फट गईं। जिस समय यह सब हुआ होगा, उस वक्त तापमान ५०० डिग्री सेल्सियस रहा होगा। इन फटी हुई खोपड़ियों के दिमाग के विश्लेषण से यह भी पता चला कि उनमें प्रोटीन अभी बाकी है,लेकिन यहां बात दिमाग के शीशे में तब्दील हो जाने की है,क्योंकि दिमाग मरकर भी राख के बजाए शीशे में बदला। विज्ञान से हटकर अगर शायरी की बात करें तो अमूमन दिल को ही शीशा रास आता रहा है। दिल टूटता और तड़कता भी शीशे की माफिक है। आशिकी के मामले में तो दिल दर्पण भी हो जाता है। ऐसा दर्पण जो उतनी और वैसी छवि दिखाता है,जो महबूब को रास आ जाए। अब ताजा खोज ने दिल और शीशे की इस पुरानी रिश्तेदारी को भी तगड़ा झटका दे दिया है। इसलिए,कि दिल अपने साथ कहानियों को ही जिंदा रख सकता है,लेकिन कांच-सा दिमाग तो इतिहास से स्पर्धा करता है। वह २ हजार साल पुरानी आपदा की कथा और उसके कारणो को प्रामाणिक रूप से बयान कर सकता है। यही फर्क है शायरी और साइंस का। यही फर्क है दिल और दिमाग का। यही फर्क है सृजन और अन्वेषण का। अभी तक दिलवालों ने दिमाग पर ज्यादा भरोसा नहीं किया,जबकि दिमाग दिल को कमजोर मानता रहा है। उसे जज्बाती मानता रहा है,पर अब हमें मान लेना होगा कि दिमाग भी शीशे की मानिंद हो सकता है। वक्त के थपेड़ों के पास यह तकनीकी है…!

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