सिंपल गुप्ता
रोहतास (बिहार)
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हम सब हैं फूलों की माला,
एक फुलवारी से आए हैं
हमको बाँटा है जिसने,
वह मानव ही कहलाए हैं।
एक हमारी धरती सबकी,
जिस मिट्टी में जन्मे हैं
एक माँ का आँचल सबका,
ममता पाकर पले-बढ़े हैं।
सूरज एक हमारा जिसकी,
किरणें उर की कली खिलाती
मिली भी एक धूप हमें है,
सींचे भी एक जल से हैl
एक हमारे चंदा मामा,
जो चाँदनी रात बनाए हैं
सूरज ढल जाने के बाद,
हम सबको चैन की नींद सुलाए हैं।
रंग-बिरंगे रूप हमारे,
अलग-अलग है क्यारी-क्यारी
लेकिन हम सब आपस में,
मिलकर हैं एक फुलवारीl
एक ही हमारी धरती है,
एक ही सूर्य-चंद्रमा है
एक गगन के नीचे रहते,
बनकर एक फूलों की माला हैll
परिचय-कु. सिंपल गुप्ता का बसेरा बिहार के ग्राम-तोरनी(जिला-रोहतास) में हैl कक्षा नवीं में अध्ययनरत सिंपल को कविता लिखना पसंद हैl जीवन में कुछ बड़ा हासिल करना इनका लक्ष्य हैl