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शिवा भी हूँ,शिवानी भी…

देवश्री गोयल
जगदलपुर-बस्तर(छग)
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शिवा भी हूँ मैं…
शिवानी भी हूँ मैं…
अर्द्ध भी-पूर्ण भी हूँ मैं…l
अंत भी आरम्भ भी हूँ मैं…
काल से शुरू होकर…
काल से परे भी हूँ मैं…,
दिग भी हूँ…दिगन्त भी हूँ मैं…l
आदि भी हूँ मैं अनंत भी हूं मैं…
जड़ भी हूँ,जीवंत भी हूँ मैं…
सोच भी हूँ,विचार से परे हूँ मैं…,
आचार भी हूँ,आचरण मन्त्र भी हूँ…l
कण भी हूँ ब्रम्हांड भी हूँ मैं…,
जो सोच भी न सको…
वो अजन्मा ब्रम्ह भी हूँ मैं…,
सबमें समाहित भी हूँ मैं…l
सबसे अच्युत भी हूँ मैं…,
शिशु भी हूँ मैं…
जगतजननी भी हूँ मैं…l
विस्तार और आकार पर…,
मत जाओ मेरे…
क्योंकि आगत भी मैं हूँ…,
अनागत भी हूँ मैं…l
शिवा भी हूँ मैं…,

शिवानी भी हूँ मैं…ll

परिचय-श्रीमती देवश्री गोयल २३ अक्टूबर १९६७ को कोलकाता (पश्चिम बंगाल)में जन्मी हैं। वर्तमान में जगदलपुर सनसिटी( बस्तर जिला छतीसगढ़)में निवासरत हैं। हिंदी सहित बंगला भाषा भी जानने वाली श्रीमती देवश्री गोयल की शिक्षा-स्नातकोत्तर(हिंदी, अंग्रेजी,समाजशास्त्र व लोक प्रशासन)है। आप कार्य क्षेत्र में प्रधान अध्यापक होकर सामाजिक गतिविधि के अन्तर्गत अपने कार्यक्षेत्र में ही समाज उत्थान के लिए प्रेरणा देती हैं। लेखन विधा-गद्य,कविता,लेख,हायकू व आलेख है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-हिंदी भाषा का प्रचार-प्रसार करना है,क्योंकि यह भाषा व्यक्तित्व और भावना को व्यक्त करने का उत्तम माध्यम है। आपकी रचनाएँ दैनिक समाचार पत्र एवं साहित्यिक पत्रिकाओं में प्रकाशित हैं। आपके पसंदीदा हिंदी लेखक-मुंशी प्रेमचंद एवं महादेवी वर्मा हैं,जबकि प्रेरणा पुंज-परिवार और मित्र हैं। देवश्री गोयल की विशेषज्ञता-विचार लिखने में है। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-“हिंदी भाषा हमारी आत्मा की भाषा है,और देश के लिए मेरी आत्मा हमेशा जागृत रखूंगी।”

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