राजू महतो ‘राजूराज झारखण्डी’
धनबाद (झारखण्ड)
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शिवजी हैं हमारे भोले-भाले,
रंग-रूप हैं इनके बड़े निराले।
आया है देखो इनका त्योहार,
कृपा से इनकी चलता संसार।
छोड़ माया मोह कर इनसे प्यार,
गर मन वचन कर्म से हो ऐतबार।
खुल जाएगा फिर मुक्ति का द्वार,
आया है शिवरात्रि का त्यौहार।
भांग धतूरा ले हो पूजन को तैयार,
साथ ले बेल पत्र और अक्षत सार।
मन में जगा लें हम भक्ति अपार,
आया है शिवरात्रि का त्यौहार।
हमारे भोले हैं हर-हर दानी,
श्रद्धा सुमन ले कहो कहानी।
देंगे वरदान हमारे वरदानी,
जीवन में होगी ना परेशानी।
भोले के पास है शक्ति अपार,
पूजता उन्हें आज यह संसार।
जिन्हें मिला हो उनका प्यार,
महिमा उनकी होगा अपरम्पार।
नीलकंठ हैं हमारे दानी महान,
विश्व कल्याण का रखते ध्यान।
समुद्री बीस को लिये स्वयं पी,
देव,मानव को दान जीवन दी।
शिवमहिमा की करते हैं बात,
जटा में कर धारण गंगा को।
मस्तक पर रख चंद्रमा को,
दी शुद्ध शीतलता सौगात।
इस शिवरात्रि करूं मैं शिव की पूजा,
विश्व कल्याण के सिवा ना मांग दूजा।
रहे सभी अमन-शांति और प्रेम के साथ,
शिवरात्रि में मांगू मैं बस यही सौगात॥
परिचय–साहित्यिक नाम `राजूराज झारखण्डी` से पहचाने जाने वाले राजू महतो का निवास झारखण्ड राज्य के जिला धनबाद स्थित गाँव- लोहापिटटी में हैl जन्मतारीख १० मई १९७६ और जन्म स्थान धनबाद हैl भाषा ज्ञान-हिन्दी का रखने वाले श्री महतो ने स्नातक सहित एलीमेंट्री एजुकेशन(डिप्लोमा)की शिक्षा प्राप्त की हैl साहित्य अलंकार की उपाधि भी हासिल हैl आपका कार्यक्षेत्र-नौकरी(विद्यालय में शिक्षक) हैl सामाजिक गतिविधि में आप सामान्य जनकल्याण के कार्य करते हैंl लेखन विधा-कविता एवं लेख हैl इनकी लेखनी का उद्देश्य-सामाजिक बुराइयों को दूर करने के साथ-साथ देशभक्ति भावना को विकसित करना हैl पसंदीदा हिन्दी लेखक-प्रेमचन्द जी हैंl विशेषज्ञता-पढ़ाना एवं कविता लिखना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“हिंदी हमारे देश का एक अभिन्न अंग है। यह राष्ट्रभाषा के साथ-साथ हमारे देश में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। इसका विकास हमारे देश की एकता और अखंडता के लिए अति आवश्यक है।