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संजीदगी से गढ़ी जा रही है लघुकथाएं-प्रो. खरे

मंडला(मप्र)।

ऑनलाइन सम्मेलन

लघुकथा वर्तमान में सामाजिक चेतना,राष्ट्रीय एकता व साम्प्रदायिक सद्भाव के क्षेत्र में भी अति महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह कर रही है। यह महत्वपूर्ण भी है और ज़रूरी भी,पर ऐसे नाज़ुक विषय पर लघुकथा का लेखन अति गंभीरता के साथ होना चाहिए,जिससे लोगों को सौहार्द व सद्भाव का विचार-आचार सौंपा जा सके,तथा साम्प्रदायिक द्वेष को आपसी भाईचारे व रागात्मकता में परिवर्तित किया जा सके। इस विषयवस्तु को लेकर संज़ीदगी से लिखी-गढ़ी लघुकथाएं निश्चित रूप से समाज का हित संवर्धित करेंगी।
साहित्यिक संस्था भारतीय युवा साहित्यकार परिषद के तत्वाधान में ऑनलाइन अखिल भारतीय हेलो फेसबुक लघुकथा सम्मेलन एवं विचार गोष्ठी ‘समकालीन लघुकथाओं में सांप्रदायिक सद्भावना
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि देश के सुपरिचित कवि-लघुकथाकार प्रो.(डॉ.) शरद नारायण खरे(मंडला) ने यह बात कही। संचालन करते हुए संयोजक सिद्धेश्वर ने कहा कि,देश की एकता और सांप्रदायिक सद्भावना को बनाए रखने में साहित्य की अहम् भूमिका रही है,खासकर लघुकथा विधा की।
प्रो. खरे ने इसी पृष्ठभूमि पर आधारित शीर्षक ‘वह एक ही तो है’ से शानदार लघुकथा का पाठ भी किया।
विशिष्ट अतिथि प्रो. योगेंद्रनाथ शुक्ल ने कहा कि,संप्रदाय बुरा तब बनता है,जब एक संप्रदाय के लोग,दूसरे संप्रदाय के लोगों को बुरा कहने लगते हैं या अपने से छोटा मानने लगते हैं। दूसरों के साथ ऊंच-नीच का बर्ताव करने लगते हैं। यहीं से तनाव की स्थिति पैदा हो जाती है।
वरिष्ठ लघु कथाकार डॉ. सतीशराज पुष्करणा ने कहा कि,ढेर सारी लघुकथाएं इस विषय पर लिखी गई है,जिसके सकारात्मक परिणाम भी सामने आए हैं। संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए युवा कथाकार विजयानंद विजय (मुजफ्फरपुर )ने कहा कि,भगवती प्रसाद द्विवेदी जी का कथन सही है कि विधागत चर्चा करवा कर, सिद्धेश्वर जी ने ऑनलाइन लघुकथा गोष्ठी का महत्व बढ़ा दिया है। पढ़ी गई अधिकांश लघुकथाएं, देश की एकता और सांप्रदायिक सद्भावना की मिसाल बनकर सामने आई है।
सम्मेलन में सर्वश्री भगवती प्रसाद द्विवेदी ने ‘हदबंदी’,डॉ. कमल चोपड़ा ने ‘अंधे का अंधेर’,विजयानंद विजय ने ‘रिक्शावाला’ एवं विभा रानी श्रीवास्तव ने ‘माँ की ममता’ सहित प्रियंका श्रीवास्तव,आकांक्षा यादव,नरेंद्र कौर छाबड़ा आदि ने लघुकथाओं का पाठ कर इस सम्मेलन को अविस्मरणीय बना दिया।

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