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यह कैसा है परिवर्तन

सुबोध कुमार शर्मा 
शेरकोट(उत्तराखण्ड)

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यह कैसा है परिवर्तन,
यह कैसा जग का नर्तन
जहाँ नित नारी मिटती,
होता नित नारी मर्दन।

कब तक शोर मचायेंगे,
क्रूरता कैसे मिटायेंगे
कैसे धैर्य धरेंगे जन,
दूर होगा कब वहशीपन
कब तक होगा ये क्रंदन।

कैसी सन्तति उभर रही है,
मर्यादा का पतन कर रही है
माता-पिता निश्चित दोषी है,
जो न सन्तानें सुधर रही है
मिटा दिया है अपनापन।

आरोपी को तुरंत दण्ड हो,
निर्णय में न अति बिलम्ब हो
न पनपे क्रूर मानसिकता,
दण्ड में ऐसा कड़ा प्रबन्ध हो
मिट जाये जो ये वहशीपन।

समाज न्याय का डर नहीं रहा,
कुकृत्य जो युवा नित कर रहा
समाज की पावनतम शक्ति जो,
उस नारी का नित हरण कर रहा
ऐसे निर्दयी लोगों की काटो गर्दन।

देश दिशा क्या पा रहा अब,
देख मौन हो जाते क्यों सब ?
घटना घटित हो जाने पर ही,
शोर मचाते रहते क्यों सब ?
दण्ड दो निर्दयीयों को करके नग्नll

परिचय – सुबोध कुमार शर्मा का साहित्यिक उपनाम-सुबोध है। शेरकोट बिजनौर में १ जनवरी १९५४ में जन्मे हैं। वर्तमान और स्थाई निवास शेरकोटी गदरपुर ऊधमसिंह नगर उत्तराखण्ड है। आपकी शिक्षा एम.ए.(हिंदी-अँग्रेजी)है।  महाविद्यालय में बतौर अँग्रेजी प्रवक्ता आपका कार्यक्षेत्र है। आप साहित्यिक गतिविधि के अन्तर्गत कुछ साहित्यिक संस्थाओं के संरक्षक हैं,साथ ही काव्य गोष्ठी व कवि सम्मेलन कराते हैं। इनकी  लेखन विधा गीत एवं ग़ज़ल है। आपको काव्य प्रतिभा सम्मान व अन्य मिले हैं। श्री शर्मा के लेखन का उद्देश्य-साहित्यिक अभिरुचि है। आपके लिए प्रेरणा पुंज पूज्य पिताश्री हैं।

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