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सोनाली मेहता की यह शोध कृति हिंदी की धरोहर

इन्दौर(मध्यप्रदेश)।

दक्षिण भारत के हिंदी साहित्य का समीक्षात्मक सर्वेक्षण शोध कृति हिंदी साहित्य की एक धरोहर है। डॉ.सोनाली मेहता ने इस कृति के लिए अथक परिश्रम किया और उसे मूर्त रूप दिया। छह खंडों में दक्षिण भारत मुख्यतः आंध्र प्रदेश के हिंदी साहित्यकारों का आदित्य संग्रह है।
यह उदगार डॉ. कला जोशी ने श्री मध्य भारत हिंदी साहित्य समिति द्वारा ‘विश्व हिंदी दिवस’ के उपलक्ष्य में पुस्तक का लोकार्पण अवसर पर व्यक्त किए। हैदराबाद में हिंदी की अध्यापिका डॉ. सोनाली ने २००३ में इसी समिति में डॉ. जोशी के मार्गदर्शन में पीएचडी की थी,जिसका लोकार्पण विशेष संदर्भ में हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे समिति के प्रधानमंत्री प्रो. सूर्यप्रकाश चतुर्वेदी ने जहां भाषा ज्ञान पर बात की,वहीं इस अनुपम कृति के लिए लेखिका को बधाई दी। मुख्य अतिथि पूर्व प्राचार्य डॉ. उषा कृष्णन ने कहा कि,सोनाली की कृति उत्तर और दक्षिण के लिए एक सेतु के समान उपयोगी होगी। लेखिका डॉ. सोनाली ने अपने लेखन,विषय चयन और हिंदी के संदर्भ में सारगर्भित विचार व्यक्त किए। आरंभ में अतिथियों का स्वागत रमणीक लाल भानेज, नियति भानेज,जवाहर चौधरी सहित प्रचार मंत्री अरविंद ओझा आदि ने किया। इस अवसर पर सर्वश्री सदाशिव कौतुक,प्रदीप ‘नवीन’,डॉ. भरत छापरवाल,अनिल भौजे, देवकृष्ण सांखला एवं राजेश शर्मा सहित नगर के कई साहित्यकार उपस्थित रहे। अतिथि परिचय के साथ संचालन साहित्य मंत्री हरेराम वाजपेई ने किया। आभार विशाल मेहता ने व्यक्त किया।

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