तारा प्रजापत ‘प्रीत’
रातानाड़ा(राजस्थान)
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घरों में रहो-
‘कोरोना’ से डरो ना,
सुरक्षित है।
कोरोना रोग-
सावधानी रखिए,
बचे रहोगे।
दवाई नहीं-
बचाव परहेज़,
भागा कोरोना।
एक मीटर-
सुरक्षित कोरोना,
दूरी रखना।
संयम रखो-
कोरोना को हराना,
हाथों को धोना।
भूल न जाना-
कोरोना महामारी,
नियम चलो।
लापरवाही-
जानलेवा कोरोना
मरना तय।
छूना वर्जित-
संक्रामक कोरोना
करो नमन।
न घबराओ-
कोरोना है विषाणु,
दूरी बनाओ।
परिचय-श्रीमती तारा प्रजापत का उपनाम ‘प्रीत’ है।आपका नाता राज्य राजस्थान के जोधपुर स्थित रातानाड़ा स्थित गायत्री विहार से है। जन्मतिथि १ जून १९५७ और जन्म स्थान-बीकानेर (राज.) ही है। स्नातक(बी.ए.) तक शिक्षित प्रीत का कार्यक्षेत्र-गृहस्थी है। कई पत्रिकाओं और दो पुस्तकों में भी आपकी रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं,तो अन्य माध्यमों में भी प्रसारित हैं। आपके लेखन का उद्देश्य पसंद का आम करना है। लेखन विधा में कविता,हाइकु,मुक्तक,ग़ज़ल रचती हैं। आपकी विशेष उपलब्धि-आकाशवाणी पर कविताओं का प्रसारण होना है।