प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला(मध्यप्रदेश)
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“यह अपने राजा को क्या सूझा कि पूरे देश में महीने भर को सारी चीज़ों को बंद करा दिया,लोगों के घर से निकलने पर पाबंदी लगा दी। सारी गतिविधियों को बंद(लॉक) करा दिया।” रस्तोगी जी ने मेहरा जी से कहा।
“भाई,यह सब बहुत ज़रूरी था। इससे
‘कोरोना’ की बीमारी फैलने पर रोक लगेगी, क्योंकि यह बीमारी एक आदमी से दूसरे तक पहुंचती है न।” मेहरा जी ने कहा।
“और यह ताली-थाली से क्या फायदा होने लगा,क्या इससे बीमारी डरकर भाग जाएगी ?” रस्तोगी जी ने फिर सवाल दागा।
“अरे नहीं भाई,इससे बीमारी तो नहीं भागेगी,पर जो डॉक्टर,कर्मचारी व पुलिस-प्रशासन के लोग इस बीमारी से लड़ रहे हैं, उन्हें हिम्मत व हौंसला तो मिलेगा। वे यह सोचकर क्या दुगने उत्साह से अपनी ड्यूटी पूरी नहीं करेंगे कि देखो सारा देश हमारे प्रति किस तरह से आभार प्रकट कर रहा है ?” मेहरा जी ने बात स्पष्ट की।
“और यह दिया जलाने या उजाला करने से क्या होने लगा ? क्या इस उजाले से बीमारी का विषाणु घबरा जाएगा ?” रस्तोगी जी कहां हार मानने वाले थे ।
“अरे भाई रस्तोगी जी,दरअसल लोग इस बंदी से घबरा न जाएं,बीमारी के कारण तनाव में न आ जाएं,घर में घुसे-घुसे निराश न हो जाएं, इसीलिए यह आशा,उम्मीद व आत्मबल का उजाला था,जिसे हमारे देश के कर्णधार ने हमसे करने के लिए कहा था।” मेहरा जी ने रस्तोगी जी को समझाते हुए कहा।
पर रस्तोगी जी की अधीरता अभी पूरी नहीं हुई थी,सो उन्होंने फिर प्रश्न किया कि “आख़िर इस सबको आप क्या कहेंगे ?”
“बीमारी से सफलतापूर्वक लड़ने और सुनिश्चित जीत पाने की रणनीति।” मेहरा जी ने एक शब्द में सारी तैयारियों को समेटते हुए कहा।
परिचय-प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे का वर्तमान बसेरा मंडला(मप्र) में है,जबकि स्थायी निवास ज़िला-अशोक नगर में हैl आपका जन्म १९६१ में २५ सितम्बर को ग्राम प्राणपुर(चन्देरी,ज़िला-अशोक नगर, मप्र)में हुआ हैl एम.ए.(इतिहास,प्रावीण्यताधारी), एल-एल.बी सहित पी-एच.डी.(इतिहास)तक शिक्षित डॉ. खरे शासकीय सेवा (प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष)में हैंl करीब चार दशकों में देश के पांच सौ से अधिक प्रकाशनों व विशेषांकों में दस हज़ार से अधिक रचनाएं प्रकाशित हुई हैंl गद्य-पद्य में कुल १७ कृतियां आपके खाते में हैंl साहित्यिक गतिविधि देखें तो आपकी रचनाओं का रेडियो(३८ बार), भोपाल दूरदर्शन (६ बार)सहित कई टी.वी. चैनल से प्रसारण हुआ है। ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं(विशेषांकों)का सम्पादन कर चुके डॉ. खरे सुपरिचित मंचीय हास्य-व्यंग्य कवि तथा संयोजक,संचालक के साथ ही शोध निदेशक,विषय विशेषज्ञ और कई महाविद्यालयों में अध्ययन मंडल के सदस्य रहे हैं। आप एम.ए. की पुस्तकों के लेखक के साथ ही १२५ से अधिक कृतियों में प्राक्कथन -भूमिका का लेखन तथा २५० से अधिक कृतियों की समीक्षा का लेखन कर चुके हैंl राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों में १५० से अधिक शोध पत्रों की प्रस्तुति एवं सम्मेलनों-समारोहों में ३०० से ज्यादा व्याख्यान आदि भी आपके नाम है। सम्मान-अलंकरण-प्रशस्ति पत्र के निमित्त लगभग सभी राज्यों में ६०० से अधिक सारस्वत सम्मान-अवार्ड-अभिनंदन आपकी उपलब्धि है,जिसमें प्रमुख म.प्र. साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार(निबंध-५१० ००)है।