जब तन्हा होती हूँ..
अंतुलता वर्मा ‘अन्नू’ भोपाल (मध्यप्रदेश) ************************************************************ जब तन्हा होती हूँ, टूटती हूँ,बिखरती हूँ। परछाईं अपनी देखती हूँ, तब खुद से मिलती हूँ। तन्हाई को अपनी,शब्दों में गढ़ती हूँ, जब कुछ लिखती हूँ। खिलती हूँ, निखरती हूँ, रंग खुद में भरती हूँ। मैं फिर से सम्हलती हूँ, जब तन्हा होती हूँ…॥ परिचय-श्रीमती अंतुलता वर्मा का साहित्यिक … Read more