जाल में फँसा खुद आदमी
अवधेश कुमार ‘अवध’ मेघालय ******************************************************************** आदमी क्यों आदमी से दूर है, स्वार्थ के हाथों बहुत मजबूर है। मोह में फँसकर महाभारत रचा, फल मिला तो क्यों गमों में चूर है। प्रकृति का शोषण किया सोचे बिना, घिर प्रदूषण में हुआ बेनूर है। बेटियों को मारता था गर्भ में, गैर की बेटी उसे मंजूर है। जाल … Read more