लंदन तक थर्राता था

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’मुंबई(महाराष्ट्र)*************************************** आदर्शों के साँचे में वो,सहज सरल ढल जाता था,किन्तु तनिक त्योरी चढ़ती तो,लंदन तक थर्राता था।जिसने सत्य-अहिंसा को अपना हथियार बना डाला-ऐसा पुण्य विलक्षण जीवन,सबके मन को…

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धरती का भगवान

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’मुंबई(महाराष्ट्र)*************************************** दाल और बस रोटी ही,भोजन में पकवान बना,गोल घड़ी थी चश्मा था जो,जीवन की पहचान बना।निज कपड़े निज बर्तन सारे,खुद ही धोया करता था-कहने को इंसा था…

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देश-धरा को अर्पण था

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’मुंबई(महाराष्ट्र)*************************************** दीन-हीन की दलित पतित की,पीड़ा का वो दर्पण था,और उन्हीं की खातिर उनका,सारा नेह समर्पण था।निर्मल मन था दुर्बल तन था,तन पर एक लंगोटी थी-शेष रहा जो…

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दीन-हीन कुंठित मजदूर

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’मुंबई(महाराष्ट्र)*************************************** परिभाषा मजदूर की,पूछ रहे हैं आप।'बबुआ' इतना जानिए,जीवन का अभिशाप॥ दीन-हीन कुंठित पतित,भूखा फिर लाचार।बबुआ है मजदूर का,इतना-सा व्यापार॥ सभी सृजन के मूल में,छिपा हुआ मजदूर।बबुआ कैसे…

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सोया नाहर छेड़ता,देश पड़ोसी चीन

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’मुंबई(महाराष्ट्र)*********************************************** दोहा-पंचशील सिद्धांत का,शाँति अहिंसा मूल।बबुआ अंतस में खिलें,नित्य नेह के फूल॥ चौपाईयाँ-बबुआ खल को कौन विधाना।शाँति दूत को कायर माना॥ बार-बार जो रोष जतावे।कारण और अकारण आवे॥…

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इश्क़

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’मुंबई(महाराष्ट्र)*********************************************** काव्य संग्रह हम और तुम से.... दिल धड़कता इश्क़ से ही,इश्क़ से चलती है श्वांस,इश्क से है लाल शोणित,इश्क जीवन की है प्यास। इश्क़ रांझा-हीर का था,इश्क़…

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सुरभित पुष्प

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’मुंबई(महाराष्ट्र)*********************************************** फूलों के मुरझाने से,सुरभि कहाँ रुक जाती है,और पुष्प से नेह निबन्धन,सोच सोच रह जाती है।अनजाने में हुए दोष का,दोष नहीं लगता है प्रियवर-कुछ तो खास रहे…

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प्रियतम बिन सूना यह सावन

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’मुंबई(महाराष्ट्र)*********************************************** जब पूनम का चँदा देखूँ,मैं दरिया के पानी में।जैसे प्रियतम ने छेड़ा हो,मुझको भरी जवानी मेंllप्रियतम बिन सूना यह सावन,अब तो प्रियतम आ जाओ,तन-मन मचल रहा है…

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इम्तिहान बाकी है

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’मुंबई(महाराष्ट्र)*********************************************** बहुत निकले मगर फिर भी,कई अरमान बाकी हैं।बची साँसें ये कहती हैं,अभी इम्तिहान बाकी हैं। भले अब चल तो लेता हूँ,नहीं दिक्कत जरा सी भी,लगी जो ठोकरें…

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श्रीकृष्ण स्तुति

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’मुंबई(महाराष्ट्र)****************************************************************** जन्माष्टमी विशेष…….. (तर्ज:भए प्रकट कृपाला दीनदयाला कौशल्या हितकारी) भए प्रकट कन्हैया रास रचईया जनमन अति हर्षाए,जसुमति प्यारे नन्द दुलारे सुरमुनि मंगल गाए।चंदन तन साजे मुख तेज विराजे…

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