सौतन

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* हिंदी  दिवस स्पर्धा विशेष……………….. सौतन मेरे प्रिय सखे रचनाधर्मी, अशेष स्नेहाशीष। आज मैं अपनी पीर कहानी पत्र द्वारा तुम्हें बता रही हूँ,क्योंकि राजसभा में द्रौपदी से भी बदतर स्थिति है मेरी वर्तमान में। अब तो बस श्रीकृष्ण की तरह तुम्हारा ही भरोसा शेष है। इसी आशा और विश्वास से पत्र लिख … Read more

धरा-चालीसा

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* दोहा- धरा धर्म हित कर्म कर,जीवन मनुज सुधार। संरक्षण भू का किए,भव जीवन आधारll चौपाई- प्रथम नमन करता हे गजमुख। वीणापाणी शारद मम सुखll गुरु पद कमल नमन गौरीसा। आज लिखूँ धरती चालीसाll नमन धरा हित कोटि हमारा। जिस पर गुजरे जीवन साराll मात समान धरा आचरनी। धरा हेतु हो जीवन … Read more

दोहा छंद विधान

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* आओ दोहा सीख लें,शारद माँ चितलाय। सीख छंद दोहा रचें,श्रेष्ठ सृजन हो जायll ग्यारह तेरह मात्रिका,दो चरणों में आय। चार चरण का छंद है,दोहा सुघड़ कहायll प्रथम तीसरे चरण में,तेरह मात्रा आय। दूजे चौथे में गिनो,ये ग्यारह रह जायll चौबिस मात्रिक छंद है,कुल अड़तालिस होय। सुन्दर दोहे जो लिखे,सत साहित्यिक जोयll … Read more

धरती

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* (विशेष चिन्ह ‘…..’ से प्रदर्शित शब्द धरती के पर्यायवाची हैं।) धारण करती है सदा,जल थल का संसार। जननी जैसे पालती,धरती जीवन धारll भूमि उर्वरा देश की,उपजे वीर सपूत। भारत माँ सम्मान हित,हो कुर्बान अकूतll पृथ्वी,पर्यावरण की,रक्षा कर इन्सान। बिगड़ेगा यदि संतुलन,जीवन खतरे जानll धरा हमारी मातु सम,हम है इसके लाल। रीत … Read more

श्रीकृष्ण चालीसा

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* दोहा- गुरु चरणों में है नमन,वंदन श्री भगवान। शारद माँ रखना कृपा,करूँ कृष्ण गुणगान॥ चौपाई- कृष्ण अष्टमी भादौ मासे। प्राकृत जीव वन्य मनु हासे॥ जन्मत मिटे मात पितु बंधन। प्रकटे निशा देवकी नंदन॥ लिए छबरिया में शिशु सिर धर। चले निहंग बदन पद पथ पर॥ मेह रात्रि जल यमुना बाढ़ी। पितु … Read more

कृष्ण जन्माष्टमी

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* कृष्ण जन्माष्टमी स्पर्धा विशेष………. भादव रजनी अष्टमी,लिए ईश अवतार। द्वापर में श्री कृष्ण बन,आए तारनहार। आए तारनहार,रची लीला प्रभुताई। मेटे अत्याचार,प्रीत की रीत निभाई। कहे लाल कविराय,कृष्ण जन्में कुल यादव। जन्म अष्टमी पर्व,मने अब घर-घर भादव। कौरव पाण्डव युद्ध में,बने कृष्ण रथवान। गीता के उपदेश में,देते ज्ञान महान। देते ज्ञान महान,धर्म … Read more

सावन सरस सुजान

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* सावन श्रंगारित करे,वसुधा,नारि,पहाड़। सागर सरिता सत्यशिव,नाग विल्व वन ताड़ll दादुर पपिहा मोर पिक,नारी धरा किसान। सबकी चाहत नेह जल,सावन सरस सुजानll नारि केश पिव घन घटा,देख नचे मन,मोर। निशदिन सपन सुहावने,पिवमय चाहत भोरll लता लिपटती पेड़ से,धरा चाहती मेह। जीव जन्तु सब रत रति,विरहा चाहत नेहll कंचन काया कामिनी,प्राकृत मय ईमान। … Read more

हरियाला सावन

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* हरित धरा हो सारी, तरुण गिरि श्रंगारी, मीत गीत शीत संग, झूमें पुरवाइया। तरु खग वन्य जीव, रट रहे पीव-पीव, तीज पर्व वृक्षों पर झूलती कुमारियाँ। आएँ मन भावन जो, भाए मन सावन वो, दूर होवे तब सब, मन से दुस्वारियाँ। खेत व फसल प्यारी, वृक्ष रोपि मेड़ क्यारी, नीर का … Read more

बिना नीड़ के बया बिचारी

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* कटे पेड़ के ठूँठ विराजी, बया मनुज को कोस रही। बेघर होकर,बच्चे अपने, संगी-साथी खोज रही। मोह-प्रीत के बंधन उलझे, जीवन हुआ क्लेश में। जैसा भी है,अपना है यह, रहना पंछी देश मेंll हुआ आज क्या बदल गया क्यों, कुटुम-कबीला नीड़ कहाँ। प्रातः छोड़ा था बच्चों को, सब ही थे खुशहाल … Read more

सावन

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* सावन मन भावन लगे,भक्ति शक्ति संगीत। सत्यम शिवम् विराजते,पावन सावन प्रीतll पावन सावन प्रीत,चढ़े झूले पर सखियाँ। तकती है मनमीत,बरसती सावन अँखियाँll शर्मा बाबू लाल,नहीं हो भाव अपावन। भक्ति प्रीत संजोग,लुभाए पावन सावनll हर-हर बम-बम गूँजता,नभ में बिजली मेह। वधू,कन्याएँ झूलती,झूले तीज सनेहll झूले तीज सनेह,सजे मेंहदी व कंगन। इन्द्र धनुष … Read more