धीरज रखो

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* चंद्र ग्रहण को देखकर, मन में उठे विचार। कोई अछूता न बचा, समय चक्र की मार॥ चंदा,सूरज को ग्रहण, देता प्राकृत चक्र। इसी भाँति इंसान को,…

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पैसा बोलता है

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* पैसा ईश्वर तो नहीं,नहीं ईश से न्यून। जग में पैसा बोलता,रिश्ते सनते खूनll ईश्वर भी है वो बड़ा,जिस पर चढ़े करोड़। जग में पैसा बोलता,रिश्ते पीछे…

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वट पूजा

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* वट सावित्री पूज कर,जो रखती उपवास। धन्य धन्य है भारती,प्राकत नारी आसll ढूँढे पूजन के लिए,बरगद दुर्लभ पेड़। पथ भी दुर्गम हो रहे,हुई कँटीली मेड़ll पेड़…

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भाईचारा

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* हार-जीत का वोट युद्ध था, कोई जीता-कोई हारा। दल दलदल को भूल सखे अब, अपना लो भाईचारा। जीत किसी की नहीं चुनावी, यह तो जनमत जीता…

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नई उड़ान

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* बहुत दिनों के बाद आज फिर, लिखने का मन करता है। जीत-हार की बातें करतें, अब भी मन डर छलता है। जीत नहीं यह मोदी की…

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मतदान-अधिकार

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* भारत के संविधान में,दिए मूल अधिकार। मानवता हक में रहे,लोकतन्त्र सरकार। लोकतंत्र सरकार,लोक से निर्मित होती। भूलो मत कर्तव्य,कर्म ही सच्चे मोती। कहे लाल कविराय,अकर्मी पाते…

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मतदान जागरूकता

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* जागरूक होकर करो,मतदाता मतदान। राजधर्म निर्वाह को, करिये ये शुभदानll सब कामों को छोड़कर,करना है यह काम। एक दिवस मतदान का,बाकी दिन आरामll सही करो मतदान…

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प्यारी पृथ्वी

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* विश्व धरा दिवस स्पर्धा विशेष……… प्यारी पृथ्वी जीवन दात्री, सब पिण्डों में,अनुपम है। जल,वायु का मिलन यहाँ पर, अनुकूलन भी उत्तम है। सब जीवों को जन्माती…

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गले मिलो प्रेम संग

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* नई साल आती रहे,मन में हो शुभ भाव, करते शुभकामना,सभी हम प्यार से। भारत धर्म संस्कृति,आए न कोई विकृति, मन में गुमान रख,रहना संस्कार से। बार-बार…

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नव वर्ष

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* (रचना शिल्प:विधान-११२१२ ११२१२ ११,२१२ ११२१२ १६,१२ मात्रा पर यति,चार चरणों का एक छंद,चारों चरण सम तुकांत) लगि चैत माह मने नया सन, सम्वती मय हर्ष है।…

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