कठिन डगर
बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)******************************************************************** (रचना शिल्प:ताटंक छंद १६/१४) कठिन डगर है इस जीवन की,दु:ख में सुख को पाना है।पार तभी होगा भवसागर,हरदम हँसते जाना है॥ कभी अँधेरा कभी उजाला,धूप छाँव तो होता है।कोई हँसता है इस जग में,और कभी वो रोता है॥रखो हौंसला मेरे साथी,दुनिया को दिखलाना है।कठिन डगर है… हार नहीं जाना है … Read more