कुल पृष्ठ दर्शन : 254

महाराणा प्रताप:मानवता रक्षक

बोधन राम निषाद ‘राज’ 
कबीरधाम (छत्तीसगढ़)
******************************************************************

‘महाराणा प्रताप और शौर्य’ स्पर्धा विशेष……….


माटी राजस्थान की,कुंभलगढ़ था स्थान।
पिता उदयसिंह गेह में,जन्में वीर महान॥

जयवंता ममतामयी,माता की संतान।
वीर पराक्रम के धनी,स्वाभिमान इंसान॥

मुगलों की आधीनता,उसको आय न रास।
साहस शौर्य प्रधानता,स्वाभिमान थे पास॥

‘कीका’ सम्बोधित करे,बचपन का था नाम।
कुँवर वीर मेवाड़ के,अतुलित बल के धाम॥

हल्दी घाटी युद्ध में,अकबर को ललकार।
छापामारी नीति से,सबका की संघार॥

मुगलों के छक्के छुड़ा,दिए सभी को मात।
भारी सेना चीर कर,करते थे वो घात॥

चेतक जिसका नाम था,घोड़ा हुए सवार।
बाइस फीट छलांग से,नाला कर दी पार॥

अकबर पीछे रह गए,चला न उसका जोर।
सैनिक टुकड़ी साथ में,वापस दिल्ली ओर॥

वन-वन भटके फिर रहे,राणा सिंह प्रताप।
पिता पुत्र दारा सभी,जीवन जीते आप॥

धर्म परायण विज्ञ थे,करते सबकी त्राण।
एक दिवस स्व तीर से,चले गए फिर प्राण॥

राजनीति माहिर रहे,कूटनीति का ज्ञान।
बूढ़े अबला नारि का,करते थे सम्मान॥

मानवता रक्षक यही,राणा जिसका नाम।
ऐसे वीर प्रताप को,शत्-शत् करूँ प्रणाम॥

 

Leave a Reply