कैसे व्यर्थ जाने दूँ

मानकदास मानिकपुरी ‘ मानक छत्तीसगढ़िया’  महासमुंद(छत्तीसगढ़)  *********************************************************************** कारगिल विजय दिवस स्पर्धा विशेष………. एक-एक इंच जमीन के लिए सारे तन से लहू बहा दिया, भूख-प्यास में लड़कर केवल सीने में जो गोलियां खाई। क्षणिक नहीं विश्राम किया,लड़ते-लड़ते प्राण गंवा दिए, धीर-वीर सैनिकों ने ही हिंदुस्तान की लाज बचाई। ऐसे वीरों का बलिदान कैसे व्यर्थ में जाने … Read more

कर्त्तव्य निभाना है

सविता सिंह दास सवि तेजपुर(असम) ************************************************************************* कारगिल विजय दिवस स्पर्धा विशेष………. घर की दहलीज़ पर कदम ठिठक गए, अर्धागिनी मेरी परछाई मेरी, खड़ी थी,मौन। कई सवाल होंठों पे लिये घुटनों को जकड़े, बच्चे मेरे ‘ना जाओ पापा!’ कहकर बिलखते हुए। बुलावा था मेरे देश का तय था मेरा जाना, घर को छोड़कर था किसी अनजान जगह … Read more

अप्पू

सविता सिंह दास सवि तेजपुर(असम) ************************************************************************* सुबह-सुबह किसी के दरवाज़ा खटखटाने से मेरी नींद खुल गई। चारों तरफ जंगल,यहाँ कौन मुझसे मिलने आया होगा। आज तो हरि काका भी छुट्टी पर है,चलो देखते हैं,सोचकर आँखें मलता हुआ मैं दरवाजे की ओर बढ़ा। खिड़की से बाहर देखा तो चौंक गया,अरे ये तो छोटा-सा हाथी का बच्चा है। … Read more

अपना खयाल रखना

सविता सिंह दास सवि तेजपुर(असम) ************************************************************************* फोन की घंटी बजते ही निक्की रसोई से अपना हाथ पोँछती हुई भाग कर आई “हेल्लो!” हाँफते हुए निक्की ने ने कहा,-अरे इतना हाँफ क्यों रही हो ?” उधर से आवाज आई । “जी कुछ नहीं, किचन से भागकर आई,मुझे लगा आपने ही फोन किया होगा।” कुछ सामान्य होकर निक्की … Read more

वृक्षों के कटने का दर्द

मानकदास मानिकपुरी ‘ मानक छत्तीसगढ़िया’  महासमुंद(छत्तीसगढ़)  *********************************************************************** हमसे पूछो वृक्षों के कटने से दर्द कैसा होता है, कोई हमारा घर जलाता है,उजाड़कर सोता है। काटता है-जलाता है,दूर बड़ा घर बनाता है, हमें मार-भगा,हमारे वन को,अपना बताता है। हम बेघर हो भटकते हैं,ओ तो लूट-पाटकर खाता है, खोद-खोद कर धरती माँ को,खोखला करता जाता है। निज … Read more

पृथ्वी

मानकदास मानिकपुरी ‘ मानक छत्तीसगढ़िया’  महासमुंद(छत्तीसगढ़)  *********************************************************************** विश्व धरा दिवस स्पर्धा विशेष……… हे प्राणी सावधान!दुखित-द्रवित ब्रह्मांड, जीवनदायिनी का जीवन है खतरे में। विश्वास कर पृथ्वी में ही है,संभव जीवन, तू भी पला यहां,झांक जरा अपने में। जहां पला बढ़ा,उसका तो कर सम्मान, ना उजाड़ पृथ्वी,विकास-विकास के सपने में। परोपकारी,धैर्य वाली सुंदर पृथ्वी है महान, सबका … Read more