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अपना खयाल रखना

सविता सिंह दास सवि
तेजपुर(असम)

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फोन की घंटी बजते ही निक्की रसोई से अपना हाथ पोँछती हुई भाग कर आई “हेल्लो!” हाँफते हुए निक्की ने ने कहा,-अरे इतना हाँफ क्यों रही हो ?” उधर से आवाज आई ।

“जी कुछ नहीं, किचन से भागकर आई,मुझे लगा आपने ही फोन किया होगा।” कुछ सामान्य होकर निक्की ने कहा,-“आप ठीक-ठाक पहुँच गए नां ?” निक्की ने आश्वस्त होने के लिए पूछा। निक्की अपने पति के सीमा पर ड्यूटी को लेकर चिंतित थी। अभी शादी को कुछ ही महीने हुए थे । निक्की खुद को खुशनसीब समझने लगी थी। उसकी शादी एक सिपाही से हुई थी जो नाम और काम दोनों से वीर था। देश के प्रति उसके जज्बे को लेकर बड़ा गर्व महसूस करने लगी थी। ये सारी भावनाएँ एकजुट होकर मानो एक अगाध प्रेम के रूप लें चुकी थी। इस बार जब छुट्टियों में आए तो काफी खुश थे दोनों। आनेवाले जीवन को लेकर कई रंगीन सपने देखे दोनों ने। जब वीर जाने लगा तो आँखें नम थी निक्की की। वीर ने गले लगाते हुए कान में धीरे से कँहा-“जल्दी आऊंगा निक्कू।”
“हाँ मैं ठीक-ठाक पहुँच गया निक्कू।” वीर ने कहा,मानों निक्की की तंद्रा टूटी।“ अभी कश्मीर में बहुत ठंड है,अपना ध्यान रखना ।”

“हाँ बाबा,रखूंगा!” वीर ने प्यार से कहा।

“आपसे कुछ कहना है।” निक्की संकोच से सिकुड़ी जा रही थी। थी तो बहुत खुश पर कैसे कहे कि उनके जीवन की बगिया में एक नया अंकुर पनप रहा है।

“हाँ हाँ कहो ना।” उधर से आवाज आई।

“जी मैं, मैं वो………………….!” तभी एक ज़ोर का धमाका फोन पर सुनाई दिया। निक्की ने फोन चौंक कर नीचे पटक दिया और खुद भी जमीन पर बैठ गई। हड़बड़ी में उसने फिर से वीर को फोन लगाया…..उधर से आवाज़ आई- “जो नम्बर आपने डायल किया है,वह फिलहाल पहुँच से बाहर है।” निक्की की सारी कल्पनाँए मानो पहुँच से बाहर थी।

परिचय-सवितासिंह दास का साहित्यिक उपनाम `सवि` हैl जन्म ६ अगस्त १९७७ को असम स्थित तेज़पुर में हुआ हैl वर्तमान में तेजपुर(जिला-शोणितपुर,असम)में ही बसी हुई हैंl असम प्रदेश की सवि ने स्नातक(दर्शनशास्त्र),बी. एड., स्नातकोत्तर(हिंदी) और डी.एल.एड. की शिक्षा प्राप्त की हैl आपका कार्यक्षेत्र सरकारी विद्यालय में शिक्षिका का है। लेखन विधा-काव्य है,जबकि हिंदी,अंग्रेज़ी,असमिया और बंगाली भाषा का ज्ञान हैl रचनाओं का प्रकाशन पत्र-पत्रिकाओं में जारी हैl इनको प्राप्त सम्मान में काव्य रंगोली साहित्य भूषण-२०१८ प्रमुख हैl श्रीमती दास की लेखनी का उद्देश्य-हिंदी भाषा का प्रचार करना है। आपकी रुचि-पढ़ाने, समाजसेवा एवं साहित्य में हैl

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