परिन्दा

डोमन निषाद बेमेतरा(छत्तीसगढ़) ************************************************************ घाटी पर्वत मेरा गृह बसेरा, यही है मेरा संसार और डेरा। जहाँ मन करे,वहाँ चला जाता हूँ, संर्घष भरा जीवन बिताया करता हूँ। अजीब हैं दुनिया वाले अनजान समझते हैं, मगर कैसे बताऊं,जो हमें बेजुबान बोलते हैं। न हमारी कोई भाषा है,न कोई बोली, न हमारी कोई ईशा है,न कोई टोली। … Read more

लौट आ बचपन..

डोमन निषाद बेमेतरा(छत्तीसगढ़) ************************************************************ कभी गिरकर उठता था, कभी उठकर गिरता था। ना जाने कहाँ-कहाँ से, मेरे पैरों में चोट खाता था। कभी हँसी कभी गम में, जैसे भी हो बस रहता था। मेरे छोटे-छोटे कदमों से, चाँद पे जाना चाहता था। माँ के ममता भरे आँचल से, मैं दूर नहीं होना चाहता था। भुलाए … Read more

वक्त कुछ कहना चाहता है

डोमन निषाद बेमेतरा(छत्तीसगढ़) ************************************************************ हर वक्त, जो कुछ न कुछ सिखाना चाहता है, कभी रूला कर कभी हँसा कर, जो सत्य है उसे दिखाना चाहता है, वक्त कुछ कहना चाहता है। गरीबी हो या अमीरी, जो भी,सभी को समझाना चाहता है, कभी गिरा कर कभी उठा कर, जो सत्य है उसे जताना चाहता है, वक्त … Read more

फौजी बना दो

डोमन निषाद बेमेतरा(छत्तीसगढ़) ************************************************************ बन न सकूँ तो, मुझे कुछ और बना दो। माँ इतनी ही दया करो न, माँ मुझे फौजी बना दो॥ तन समर्पित है मन समर्पित है, सदैव माँ भारती का गान हो। मुझपे इतनी ही करूणा करो न, माँ मुझे फौजी बना दो॥ माँ भारती पर मेरा कर्ज है, उस ऋण … Read more

जीना चाहता हूँ

डोमन निषाद बेमेतरा(छत्तीसगढ़) ************************************************************* हर मुश्किल राह से, लड़कर आगे जाना चाहता हूँ। चाहे कितनी भी आफत आए, दृढ़ संकल्प से मंजिल पाना चाहता हूँ। मैं मरने के बाद भी, जीना चाहता हूँ…॥ जग का नियम निराला है, कोई यहां नहीं रहने वाला है। रिश्ता बस मतलब का खेल है, जिसे मैं समझाना चाहता हूँ। … Read more

सफर

डोमन निषाद बेमेतरा(छत्तीसगढ़) ************************************************************* चलो चलें हम, अपनी मंजिल के लिए…। अब क्यों रूकें हम, अपनी महफिल के लिए…॥ कौन जानता है…? क्या होगा इस जमाने में, सबको चलना होता है, एक सफर अनजाने में॥ सजी नहीं रहती है, फूलों की मकसद की राहें। कभी दर्द-भरी रहते हैं। हर सफर के रास्ते। फिर भी काँटों … Read more

क्या लिखूँ…

डोमन निषाद बेमेतरा(छत्तीसगढ़) ************************************************************* चिंतित हूँ, लिखूँ तो क्या…? मोहब्बत में, शोहरत में गम से, रम से विचलित हूँ। लिखूँ तो क्या लिखूँ…? क्या गृह संसार पर, इस शुभ विचार पर या शुभ चिंतन करूँ, और नहीं तो अभिनंदन करूँ शब्दों से सवाल करता हूँ, उलझन में हूँ, लिखूँ तो क्या लिखूँ…? ऐ खुदा, तू … Read more

सनम तेरी याद आती है…

डोमन निषाद बेमेतरा(छत्तीसगढ़) ************************************************************* जब भी तुम, मेरे नजरों के सामने दिखाई नहीं देती हो, तो दिल मेरा उदास हो जाता है। चाहत है तू मेरी, जिंदगी बन जाओ सनम तेरी याद आती है…। हर पल तुम्हें, देखकर जीना चाहता हूँ बस यही मेरी ख्वाहिश हैl जब तक तू बात करेगी, तब तक मेरी साँस … Read more

कवि हूँ

डोमन निषाद बेमेतरा(छत्तीसगढ़) ************************************************************* कभी हँसता हूंँ, कभी रूलाता हूँ जो गम आता है, सब भुला जाता हूँ। वही गुनगुनाता हूँ, फिर भी क्या करूँ दर्द में हँसी है, यही बात बताता हूँ। भाई साहब! मैं कवि हूँ…॥ अपने विचारों को, व्यक्त करता हूँ दु:ख हो या सुख हो, विधा में प्रस्तुत करता हूँ। बस … Read more