डोमन निषाद
बेमेतरा(छत्तीसगढ़)
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कभी गिरकर उठता था,
कभी उठकर गिरता था।
ना जाने कहाँ-कहाँ से,
मेरे पैरों में चोट खाता था।
कभी हँसी कभी गम में,
जैसे भी हो बस रहता था।
मेरे छोटे-छोटे कदमों से,
चाँद पे जाना चाहता था।
माँ के ममता भरे आँचल से,
मैं दूर नहीं होना चाहता था।
भुलाए नहीं भूलती वो यादें,
कागज की कश्ती,मन की बातें।
लौट आ फिर से मेरे बचपन…
जिसे मैं और जीना चाहता था॥