जीतना है…

कार्तिकेय त्रिपाठी ‘राम’इन्दौर मध्यप्रदेश)********************************************* आंधी-तूफान-अच्छा है कोरोना से,दिखता तो है। ढूंढना मत-कोई गुनहगार,कोरोना तो है।मन का बोझ-मत बनाना इसे,मारा जाएगा।टूटना नहीं-कोरोना को तोड़ना,करना योग।सुन कोरोना-मन है विचलित,अब हो विदा।इंसान बड़ा-अदना-सा कोरोना,झटक इसे।लाल ना कर-केशरिया तिरंगा,घर में रह।हाँ,कोरोना तो-आँसू ही बहाएगा,परदेशी है।कोरोना होगा-इस तन से हवा,हो मजबूत।इधर देख-कोरोना हार गया,और मैं जीता। परिचय–कार्तिकेय त्रिपाठी का उपनाम … Read more

‘कोरोना’ का क्या रोना

कार्तिकेय त्रिपाठी ‘राम’ इन्दौर मध्यप्रदेश) ********************************************* सामाजिक सम्बन्ध और दूरी स्पर्धा विशेष……….. देश हमारा बीमारी का क्यों रोता है रोना, तन को थोड़ा सृदृढ़ बना लो दूर करो ‘कोरोना।’ सुबह-सवेरे उठकर तुम अब गरम करो कुछ पानी, घूंट-घूंट कर पानी पीना ना करना नादानी। तांबे के बर्तन का पानी दिनभर फिर तुम पीना, मेहनत फिर तुम … Read more

धरती सिखलाती देना

कार्तिकेय त्रिपाठी ‘राम’ इन्दौर मध्यप्रदेश) ********************************************* प्रकृति और मानव स्पर्धा विशेष…….. ये धरती तो धरती माँ है जो जीवन हमको देती है, बचपन ने इसको देखा है ये सबकी जीवन रेखा है। कब सुबह हुई,कब शाम हुई सूरज की धूप तमाम हुई, चंदा से मिलने को आतुर उसकी ये बातें आम हुई। हर राह भटकते … Read more

अपना-अपना संविधान

कार्तिकेय त्रिपाठी ‘राम’ इन्दौर मध्यप्रदेश) ********************************************* गणतंत्र दिवस स्पर्धा विशेष……… धरती की कोख में उपजता है अनाज, प्राकृतिक आपदाओं पानी,धूप,हवा और वन्य जीवों से, अपने-आपको बचाकर अर्पण कर देता है इंसानी उदर को, स्वत:मिट कर भी वह पूर्णता पा लेता है, लेकिन हम … अहम की चिंगारी से भस्म करते हैं भावनाएं, ताक पर रखते … Read more

हास्य भरें मन भर के

कार्तिकेय त्रिपाठी ‘राम’ इन्दौर मध्यप्रदेश) ********************************************* जीवन की इस भाग-दौड़ में, हम भी थोड़ा-सा बदलें सब कुछ नहीं है रुपया-पैसा, मन की यह फितरत बदलें। झूठ की नैया डग-मग करके, कभी पार नहीं हो सकती सत्य परेशान हो सकता है, पर हार नहीं हो सकती है। जीवन में सुख-दु:ख आते हैं, आँख चुराना ठीक नहीं … Read more

दीप का उजास

कार्तिकेय त्रिपाठी ‘राम’ इन्दौर मध्यप्रदेश) ********************************************* दीप की बेला आई घर-घर, खुशियां मनाओ सब मन भर-भर स्नेह से बांटो प्रेम की गुझिया, मन अंतर भर जायें खुशियां। जीवन-जोत जला करती है, मन की तृषा कहां मिटती है धैर्य की राह पर बढ़ते जाना, सब मिट जाते गड़बड़झाला। आस की बेला के दर्पण में, जीवन का … Read more

प्रियतम की हँसी

कार्तिकेय त्रिपाठी ‘राम’ इन्दौर मध्यप्रदेश) ********************************************* मेरे मन उपवन की तुम ही, मल्लिका हो चंद्र-सी पानी भरती हो जहां पर, अप्सराएं इंद्र की। जुल्फ लहराई घटा में, बादलों-सी घिर रही तेरी जो मुस्कान उभरी, फूल-सी वो खिल रही। होंठ की देहरी को जिसके, ओस भी ना छू सकी मांग माथे में सजाती, है वह प्रियतम … Read more

हसरतें जो रही अधूरी…. अमिताभ

कार्तिकेय त्रिपाठी ‘राम’ इन्दौर मध्यप्रदेश) ********************************************* वर्षगांठ विशेष…………. एक ऐसा व्यक्तित्व,जो अभिनय रूपी शहद के कटोरे से मंद-मंद मुस्कान बिखेरने में सफल रहा,जो भारतीय फिल्माकाश पर विगत पांच दशकों से अलौकिक दैदीप्यमान तारे की तरह अपनी बहुमुखी प्रतिभा से सिने प्रेमियों के दिलों की धड़कनों को असंयत करने में सफल रहा। युवा,प्रौढ़ और बच्चों के … Read more

हिन्दी का रसपान

कार्तिकेय त्रिपाठी ‘राम’ इन्दौर मध्यप्रदेश) ********************************************* हिंदी  दिवस स्पर्धा विशेष……………….. आज हमारी भाषा का हम उतना ही सम्मान करें, सदियों से पाती जो माता उतना ही गुणगान करें। वो ही अपनी भाषा है जो लोरी गाकर जी बहलाती, मन के सारे अहम भाव को फिर दूर वही कर जाती है। अधर हमारे जब भी मिलते … Read more

हे गजनंदन धारी

कार्तिकेय त्रिपाठी ‘राम’ इन्दौर मध्यप्रदेश) ********************************************* जन-जन के तुम मनभावन हो रिद्धि-सिद्धि के स्वामी, पल-पल तुमको पूजा करते हम सब हिन्दुस्तानी। जीवन की रुत बदला करती और प्रेम की भाषा, अपना सब कुछ अर्पण कर दें इतना दे दो दाता। जन-जन के तुम… माया-मोह का बंधन भी अब नहीं रहे कोई शेष, जीवन बस खुशियों … Read more