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प्रियतम की हँसी

कार्तिकेय त्रिपाठी ‘राम’
इन्दौर मध्यप्रदेश)
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मेरे मन उपवन की तुम ही,
मल्लिका हो चंद्र-सी
पानी भरती हो जहां पर,
अप्सराएं इंद्र की।
जुल्फ लहराई घटा में,
बादलों-सी घिर रही
तेरी जो मुस्कान उभरी,
फूल-सी वो खिल रही।
होंठ की देहरी को जिसके,
ओस भी ना छू सकी
मांग माथे में सजाती,
है वह प्रियतम की हँसी।
नख से शिख तक सज रही है,
चौथ की वह चाँद-सी
मन हुआ कंचन-सा चंचल,
हिरणी-सी जब वह चली।
रतजगा करती निशा है,
ढोल की मनुहार पर
छुप रहा घूंघट में मुखड़ा,
है मेरे इजहार पर।
आओ हम भी छलनियों से,
ताकना अब छोड़ दें
पास जब इतने खडे़ हैं,
बाँहों में भर छोड़ दें।
हँस रहा है चाँद भी अब,
हम भी तराना छेड़ दें
क्यूँ,चाँद की इस रोशनी में,
मुस्कुराना छोड़ दें।
मेरे मन-उपवन की…ll

परिचय–कार्तिकेय त्रिपाठी का उपनाम ‘राम’ है। जन्म ११ नवम्बर १९६५ का है। कार्तिकेय त्रिपाठी इंदौर(म.प्र.) स्थित गांधीनगर में बसे हुए हैं। पेशे से शासकीय विद्यालय में शिक्षक पद पर कार्यरत श्री त्रिपाठी की शिक्षा एम.काम. व बी.एड. है। आपके लेखन की यात्रा १९९० से ‘पत्र सम्पादक के नाम’ से शुरु हुई और अनवरत जारी है। आप कई पत्र-पत्रिकाओं में काव्य लेखन,खेल लेख,व्यंग्य और फिल्म सहित लघुकथा लिखते रहे हैं। लगभग २०० पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित हो चुकी हैं। आकाशवाणी पर भी आपकी कविताओं का प्रसारण हो चुका है,तो काव्यसंग्रह-‘ मुस्कानों के रंग’ एवं २ साझा काव्यसंग्रह-काव्य रंग(२०१८) आदि भी प्रकाशित हुए हैं। काव्य गोष्ठियों में सहभागिता करते रहने वाले राम को एक संस्था द्वारा इनकी रचना-‘रामभरोसे और तोप का लाईसेंस’ पर सर्वाधिक लोकप्रिय कविता का पुरस्कार दिया गया है। साथ ही २०१८ में कई रचनाओं पर काव्य संदेश सम्मान सहित अन्य पुरस्कार-सम्मान भी मिले हैं। इनकी लेखनी का उदेश्य सतत साहित्य साधना, मां भारती और मातृभाषा हिंदी की सेवा करना है।

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