जीतेगा मानव
कैलाश झा ‘किंकर’ खगड़िया (बिहार) ************************************************************************************ साहित्यिक गतिविधियाँ,सुन्दर काज। इससे कुसुमित होता,रहा समाज॥ सबके हित की बातें,यहाँ प्रधान। रचनाकारों का है,कार्य महान॥ तुलसी दल के जैसे,सब गुणवान। छोटे और बड़े सब,एक समान॥ सम्मानित सर्जक सब,हैं प्रणम्य। इनके कारण धरती,बनी सुरम्य॥ गीतों में जीवन के,बजे सितार। धरती पर आलोड़ित,होता प्यार॥ दु:ख के दिन में औषधि,सद्साहित्य। हर … Read more