इस युग में `कृष्णा`

मानकदास मानिकपुरी ‘ मानक छत्तीसगढ़िया’  महासमुंद(छत्तीसगढ़)  *********************************************************************** कृष्ण जन्माष्टमी स्पर्धा विशेष………. हे कृष्णा तू क्यों नहीं आता इस युग में लाज बचाने, धार्मिक स्थल में लुट जाती नारी,क्यों शांत हो बंशी वाले। चीर हरण से भी बड़ी दुर्दशा कितनों के साथ हो चुकी, लगता है कलयुग में कृष्णा,गहरी नींद में सो चुकेl बालपन में बहुरूपियों … Read more

सरकारी भिखारी

मानकदास मानिकपुरी ‘ मानक छत्तीसगढ़िया’  महासमुंद(छत्तीसगढ़)  *********************************************************************** भिखारी कहूं कि लुटेरा या घूसखोर, जादूगर कहूं कि खेलवाला या चोर। सरकारी काम का भी अजीब ढंग से लेता है पैसा, एक हस्ताक्षर भी ईमान से नहीं गरीबों की ओरll कैसा कर्मचारी-कैसा अधिकारी,कैसा है इंसान, शपथ-पत्र ईमानदारी का भरता भी है बेइमान। कहता है-रिश्वत नहीं लूंगा कभी … Read more

कैसे व्यर्थ जाने दूँ

मानकदास मानिकपुरी ‘ मानक छत्तीसगढ़िया’  महासमुंद(छत्तीसगढ़)  *********************************************************************** कारगिल विजय दिवस स्पर्धा विशेष………. एक-एक इंच जमीन के लिए सारे तन से लहू बहा दिया, भूख-प्यास में लड़कर केवल सीने में जो गोलियां खाई। क्षणिक नहीं विश्राम किया,लड़ते-लड़ते प्राण गंवा दिए, धीर-वीर सैनिकों ने ही हिंदुस्तान की लाज बचाई। ऐसे वीरों का बलिदान कैसे व्यर्थ में जाने … Read more

सच का वृक्ष

मानकदास मानिकपुरी ‘ मानक छत्तीसगढ़िया’  महासमुंद(छत्तीसगढ़)  *********************************************************************** सच का वृक्ष, सूखने लगा आज- संभल जाओl अपनों बीच, कितने धोखेबाज- ध्यान लगाओl जरूरत है, झूठ का पूर्णनाश- आगे तो आओl सच का बीज, रख अपने हाथ- उगाते जाओl

मैं तलवार उठाऊंगा

मानकदास मानिकपुरी ‘ मानक छत्तीसगढ़िया’  महासमुंद(छत्तीसगढ़)  *********************************************************************** दुष्कर्मी को फाँसी दो,वरना मैं तलवार उठाऊंगा, मासूम के हत्यारों को चौराहे पर मार गिराऊंगा। उम्रकैद की सजा सुनाकर,गुनाहगार को पाल रहे हो, ऐसे न्याय के देव के सम्मुख,मैं मस्तक नहीं झुकाऊंगा। नारी के हरण पर मौत हो वह युग पुनः मैं लाऊंगा, मैं भारत में देवी शक्ति … Read more

वृक्षों के कटने का दर्द

मानकदास मानिकपुरी ‘ मानक छत्तीसगढ़िया’  महासमुंद(छत्तीसगढ़)  *********************************************************************** हमसे पूछो वृक्षों के कटने से दर्द कैसा होता है, कोई हमारा घर जलाता है,उजाड़कर सोता है। काटता है-जलाता है,दूर बड़ा घर बनाता है, हमें मार-भगा,हमारे वन को,अपना बताता है। हम बेघर हो भटकते हैं,ओ तो लूट-पाटकर खाता है, खोद-खोद कर धरती माँ को,खोखला करता जाता है। निज … Read more

अपने

मानकदास मानिकपुरी ‘ मानक छत्तीसगढ़िया’  महासमुंद(छत्तीसगढ़)  *********************************************************************** निज भाषा,निज धर्म को समझो, गुरु भी यही सिखाते हैं। गैरों के आचरण भी कभी-कभी, खुद को नीचा दिखाते हैंll जो अपने को छोड़,गैरों के हो जाते हैं, ना ओ गैरों के होते है ना अपने रह पाते हैं। कटता है जीवन कष्ट और तिरस्कार में, न इधर … Read more

पृथ्वी

मानकदास मानिकपुरी ‘ मानक छत्तीसगढ़िया’  महासमुंद(छत्तीसगढ़)  *********************************************************************** विश्व धरा दिवस स्पर्धा विशेष……… हे प्राणी सावधान!दुखित-द्रवित ब्रह्मांड, जीवनदायिनी का जीवन है खतरे में। विश्वास कर पृथ्वी में ही है,संभव जीवन, तू भी पला यहां,झांक जरा अपने में। जहां पला बढ़ा,उसका तो कर सम्मान, ना उजाड़ पृथ्वी,विकास-विकास के सपने में। परोपकारी,धैर्य वाली सुंदर पृथ्वी है महान, सबका … Read more

सागर

मानकदास मानिकपुरी ‘ मानक छत्तीसगढ़िया’  महासमुंद(छत्तीसगढ़)  *********************************************************************** विशालता का द्योतक है सागर,बाकी अब मैं क्या कहूं, सहनशीलता का प्रेरक है सागर,इससे ज्यादा क्या कहूं। ओ तड़पते नदियों को देता है जगह सीने के अंदर, कमजोरों का पोषक है सागर,इससे ज्यादा क्या कहूंll जीवन निर्माण का संरक्षक है सागर,और मैं क्या कहूं, तूफान-उफ़ान का भक्षक है … Read more