अनकही दास्तान

मंजू भारद्वाजहैदराबाद(तेलंगाना)******************************************* फलक पर सज रहा कहीं कोई साज है,कुदरत के साए में दफन उसके कई राज हैं। खामोश पर्वत भी अक्सर गुनगुनाता है,अनजाने-अनसुलझे रहस्यों से पर्दा उठाता है। कहता है अक्सर सुनो ऐ धरती-ऐ आसमान,अनकही गुत्थियों में उलझा है तेरा जहान, जीना हो तो पत्थर बनकर जियो,फूलों की कोई जिंदगी होती नहीं। आंधी-तूफान हो … Read more

कलेजे की बेबसी

मंजू भारद्वाजहैदराबाद(तेलंगाना)******************************************* माँ…माँ…मैं आ रहा हूँ माँ…मैं आ रहा हूँ माँ…चीख रहा था साहिल। उसकी चीख की गूंज ने दिल्ली के नुमाइन्दों की कुर्सी तक हिला कर रख दी थी। लोक सभा का कार्य कुछ समय के लिए स्थगित कर दिया गया था। प्रधानमंत्री खुद इस प्रकरण को संभाल रहे थे। उनकी सख्त हिदायद थी … Read more

सम्मान चाहता है नारी अस्तित्व

मंजू भारद्वाजहैदराबाद(तेलंगाना)******************************************* यह सर्वविदित है कि आज २१वीं सदी में नारी पुरुष के कंधे से कंधा मिलाकर चल रही है,पर यह कहना गलत नहीं होगा कि नारी ने इस मुकाम को पाने के लिए युगों-युगों से युद्ध किया है । आज भी उसका युद्ध जारी है। कहते हैं भारतीय सभ्यता ने हमेशा नारी को पूज्य … Read more

खून की होलियाँ

मनोज कुमार ‘मंजू’ मैनपुरी(उत्तर प्रदेश) **************************************************************************** आज देश महफूज कहाँ है अपने ही गद्दारों से, सीमा पर तो रण कर लेंगे,निपटें कैसे खोटों से। कौन कहे इन हैवानों की करतूतें कब होंगी कम, बच्चा-बच्चा चीख रहा है और सभी की आँख है नम। जुबां-जुबां बोले फिर अब तो इन्कलाब की बोलियाँ, अपने ही अपनों से … Read more