अनकही दास्तान
मंजू भारद्वाजहैदराबाद(तेलंगाना)******************************************* फलक पर सज रहा कहीं कोई साज है,कुदरत के साए में दफन उसके कई राज हैं। खामोश पर्वत भी अक्सर गुनगुनाता है,अनजाने-अनसुलझे रहस्यों से पर्दा उठाता है। कहता है अक्सर सुनो ऐ धरती-ऐ आसमान,अनकही गुत्थियों में उलझा है तेरा जहान, जीना हो तो पत्थर बनकर जियो,फूलों की कोई जिंदगी होती नहीं। आंधी-तूफान हो … Read more