मायावी फागुन

गोपाल चन्द्र मुखर्जीबिलासपुर (छत्तीसगढ़)********************************* फागुन संग-जीवन रंग (होली) स्पर्धा विशेष… फागुन,अगर तुम राधा हो-तो मेरा जीवन है किशन!प्रकृति की नशीली चाल से,माते है क्लांत मन उमंग से।मर्मरध्वनि सूखे पत्तों की,लगा-जैसे घुँघरू बांधे नाच रही है राधा,दुरन्त घूर्णी तप्तवायु के-रंगीन घाघरे-सा गुलाल उड़े!प्रखर सूरज में भी शीतलता-आम-महुआ की मादकता,पलाश-सेमल की लालिमा-कौन समझे फागुन,आपकी माया!प्रेमी बना है … Read more

मेरी माँ

गोपाल चन्द्र मुखर्जीबिलासपुर (छत्तीसगढ़)********************************* अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस स्पर्धा विशेष…. सुना था जिन शब्दों को आपके गर्भ से,अभिमन्यु जैसा किया था अन्तर्गमभूमिष्ट होकर पुकारा था उसी शब्द से-‘माँ’ तुम्हें,आप भी समझी,मुस्कुराए।मैं भी समझा आपको आपकी आवाज से,आपका चेहरा,समझकर आपकी भाषामुस्कुराया आपके दुलार भरे शब्दों से-वही शब्द ही निकला मेरे मुँह से बनकर ‘मातृभाषा’।इसी भाषा से ही … Read more

ज्ञानदायिनी वीणापाणि

गोपाल चन्द्र मुखर्जीबिलासपुर (छत्तीसगढ़)********************************* वसंत पंचमी स्पर्धा विशेष ….. आपकी शुभ्र वीणा की झंकार से,ब्रह्मांड के शून्य प्राण तिमिर मेंसृजित ध्वनि के प्रबल कम्पनों से,तरंगित निथर जलराशि,सप्तसुरों के ताल-तालों सेघूम रही है पृथ्वी।शब्दों के तीव्र घात-संघातों से,उद्वेलित ऊर्मि मंथन सेसंचार हुआ प्राण स्वर्ग-मर्त में,संगीतसुरों के रस सिंचन सेब्रह्मांड के सकल जीव प्राणों में।शुभ्रचेतन हंसोपविस्ठा,श्वेतचन्दन चर्चिता … Read more

सत्यान्वेषी ध्यानप्रेमी स्वामी जी

गोपाल चन्द्र मुखर्जीबिलासपुर (छत्तीसगढ़)********************************* स्वामी विवेकानन्द जी जैसे निराले व्यक्तित्व को प्रणाम एवं श्रद्धाजंली अर्पण। स्वामी जी के जीवनादर्श एवं चरित्र पर विभिन्न तथ्यादि से पता लगता है कि,गम्भीर ध्यान से ही समझदार मन तैयार होता है। अटल,शुद्ध,स्वाधीन विचार युक्त मन के अधिकारी स्वामीजी तो जन्मजात ‘ध्यानप्रेमी’ थे। उनके जीवन की कहानी को विश्लेषण करने … Read more

मैं जो सबकी माँ हूँ…

गोपाल चन्द्र मुखर्जीबिलासपुर (छत्तीसगढ़)********************************************* माँ सारदा देवी जी को प्रणाम एवं श्रद्धाञ्जली अर्पण।मैं माँ जो हूँ! माँ अगर सन्तान की देखभाल नहीं करेगी तो कौन करेगी! कोई अगर माँ कहकर आ खड़ा हो तो मैं उसे लौटा नहीं सकती। पृथ्वी के समान सहनशीलता होनी चाहिए। पृथ्वी पर कितने प्रकार के अत्याचार हो रहे हैं,लेकिन वह … Read more

स्वागत है पदध्वनि नवीन

गोपाल चन्द्र मुखर्जीबिलासपुर (छत्तीसगढ़)********************************************* सुन रहा हूँ पदध्वनि आपकी-नवीन स्वर्णिम प्रभात में,अब दूर होगा अतीत का क्षोभआशा के सतेज प्रकाश से। कर रहा हूँ प्रार्थना तहे दिल से-उतजीवित हो विश्व में प्राण,हरा हरित से पल्लवित होप्राण की सजीवता हो अम्लान। चंचल किशोर दुरन्त हो-निर्भीक प्राण छंद से,निसंकोच से आए सामनेमिलन,उत्सव के आनंद में। महामारी का … Read more

अलविदा हो रहा हूँ

गोपाल चन्द्र मुखर्जीबिलासपुर (छत्तीसगढ़)************************************************* बीस के विष से क्षय होकर,अलविदा हो रहा हूँ मैं दो हजार बीसला रहा है नवीन सूरज,दो हजार इक्कीस,मेरी कुर्निशlदिया है आपको बहुत कष्ट,बहुत जन हुए हैं स्वजनहारारहे आप सब बहुत त्रास से,प्रार्थना मेरी,खुशी आए इक्कीस मेंlमुक्त हो विश्व महामारी से,वापस आए आनन्द उत्सव मेंघर-घर से आए हँसी का ठहाका,बेकारी बंद … Read more

अटल जी एक दृष्टांत

गोपाल चन्द्र मुखर्जीबिलासपुर (छत्तीसगढ़)************************************************************ श्री अटल बिहारी वाजपेई:कवि व्यक्तित्व : स्पर्धा विशेष………. हिन्दी भाषा जिसके प्राण हैं,अटल जिसका इरादा हैहिंदुस्तान के बिहारी हैं-आप वाजपेयी जी,विश्व प्रणम्य हैं। बाल ब्रह्मचारी,सीधा सादा,कोमल व्यक्तित्व के अधिकारी हैंधोती-कुर्ता में रुचि रखकर-देश की परम्परा को बढ़ाया है। भेदभाव हीन कल्याण की चिंता,शिक्षा को अग्रगति होनाजन-जन तक रोजगार हो-देश की सीमा … Read more

तुलसी देवै नमः नमः

गोपाल चन्द्र मुखर्जीबिलासपुर (छत्तीसगढ़)************************************************************ यत्र नार्य्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता:( मनुसंहिता)नारी ही आदि शक्ति,आधार स्वरूपा महाशक्ति, महालक्ष्मी, महासरस्वती। आदि-अंत काल से संसार का आपातकाल में विश्व त्रिभुवन की रक्षाकर्ती एकमात्र आदिशक्ति महामाया ही नारी हैlअत्याश्चर्य की बात यह है कि,पुरूष प्रधान व पुरूष प्रशासित विश्व को,संसार को,संतानों को लालन-पालन करते हुए संसार में प्राण प्रवाह … Read more

झर रहे हैं अमृतबिंदु

गोपाल चन्द्र मुखर्जीबिलासपुर (छत्तीसगढ़)***************************************** शरद पूर्णिमा स्पर्धा विशेष….. रास रचा है चन्द्रमा-शरद पूर्णिमा की रात में,झर रहे हैं अमृतबिंदुपूर्ण क्षीर कुम्भ से। मायाजाल-ज्योत्स्ना की-बिछा है जग में,उमंग जगी है तन-मन मेंशिशिर बिंदु के स्पर्श से। चन्द्रमा का अमृत सिंचन-पृथ्वी करे स्नान,चन्द्रमा,तेरे रूप सेनाचे मोहित समुद्र लहरों से। अमृत कुम्भ,समुद्र मंथन का-जिसकी रखवाली आप चन्द्रमा,शरद पूर्णिमा … Read more