शांति दूत बुद्ध देव की वाणी का पालन आवश्यक

गोपाल चन्द्र मुखर्जी बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ************************************************************ वैसाखी पूर्णिमा या बुद्धपुर्णिमा व गौतम बुद्ध जी के अवतरण दिवस के अवसर पर भगवान बुद्धदेव जी के श्रीचरणों में प्रणाम एवं श्रद्धार्घ अर्पण। ‘नित्य शुद्ध बुद्ध भव’ यथार्थ ही कहा करते थे ठाकुर परमहंस श्रीरामकृष्णदेव जी,जिसका मर्मार्थ यह है कि जिनका चित्त या मन शुद्ध होता है,वे शुद्ध … Read more

सामाजिक संबंध में आ गई दूरी

गोपाल चन्द्र मुखर्जी बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ************************************************************ सामाजिक सम्बन्ध और दूरी स्पर्धा विशेष……….. क्या पता,आज हुआ है क्या ? एकसाथ रहकर भी हम सब, अपनों से दूर-दूर भागते- संबंध से भी मोबाईल-इंटरनेट हो गया प्यारा। आकर पास बैठकर बातें करने में, किसी के पास नहीं है समय हालचाल पूछकर नमस्ते करना एक हाथ से- क्या जमाना आ … Read more

सुंदर पृथ्वी पर तुम हो विभीषिका

गोपाल चन्द्र मुखर्जी बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ************************************************************ जिस छोर पर तुम्हारा अंत होगा- वहीं से ही मेरी शुरूआत होगी, लग गया ध्वंस स्तूपों का ढेर तुम्हारा अब,बना है नया सृजन का क्षेत्र हमारा। मैं ही हूँ,मरुस्थल में जल बिंदु- दुर्भिक्ष में भूख का अन्न, हाहाकार में मैं हूँ सांत्वना- शांति के करुणा सिन्धु। मैं ही हूँ … Read more

तप्त वैसाख में सुख

गोपाल चन्द्र मुखर्जी बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ************************************************************ रुद्र तापस के प्रखर तेज से, निस्तब्ध,वैसाखी द्विप्रहर तप्त वायु के तेज प्रवाह से, पशु-पक्षी भी छिपे हैं आड़ में। राहगीर,चल रहा हूँ अकेला, छाता ही मात्र एक सहारा थका हुआ हूँ मैं,सोंचा चलूंगा फिर से, थोड़ा बैठकर पीपल की छाँव में। पीपल की शीतल हवा से, थकान कहाँ … Read more

मेरा ग्राम,मेरे प्राण

गोपाल चन्द्र मुखर्जी बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ************************************************************ स्वप्न में आए आज मेरा प्यारा ग्राम- जहाँ बीता था मेरा बचपन खुले मन प्राण, न जाने क्यों,कौन-से मोहजाल से भूले उसे- आ बस गया हूँ शहर में,शहरी बाबू बनने। चलो मन,एक बार चलें अतीत की झोली में- देखो,वह है बचपन का गाँव मेरे, देखो,दूर-दूर में बसे हैं घर … Read more

हम विभ्रांत क्यों आज ?

गोपाल चन्द्र मुखर्जी बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ************************************************************ हम विभ्रांत क्यों आज! मृत्यु का कारण बन रहा हूँ,क्या है,उसका राज! जानता हूँ,कीटाणु घुले हुए हैं हवा में- विश्व कांप रहा है संक्रमण के डर से। फिर भी क्यों जाता हूँ मंदिर,मस्जिद,चर्च में- ख़ुद को संक्रमित कर दूसरों का ध्वंस करने। क्यों मैं भूल जाता हूँ- सर्वधर्म क्या … Read more

व्यथित प्रकृति

गोपाल चन्द्र मुखर्जी बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ************************************************************ प्रकृति और मानव स्पर्धा विशेष…….. मैं प्रकृति,माता भी हूँ तुम्हारी, स्नेह,ममता के विगलित धारा से- सम्पदाओं से पूर्ण यह सुंदर विश्व, उपहार दिया है तुझे,प्यार से। दर्शन मेरा तुम पाओगे सिर्फ, अनुभूति की माया से स्पर्श मेरे हल्के छूने से, आमेज़ भरी भावना में। शीत ग्रीष्म से होकर कातर, … Read more

सूरज,छोड़िए अभिमान

गोपाल चन्द्र मुखर्जी बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ************************************************************ न जाने,कौन-से अभिमान से, अभिमानी हैं आप,हे प्रखर सूर्यl चैत्र के माह में भी आप, छिपे हैं हिमालय चद्दर की आड़ मेंl क्या आप जानते हैं ? आपके तेवर कमी का फायदा लेकर राक्षसी `कोरोना` नाच रहा है बेखौफ, विश्व में,मृत्यु का डर दिखाकर। समूचे विश्व में आज हुआ … Read more

होली मुबारक

गोपाल चन्द्र मुखर्जी बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ************************************************************ रंगों के समन्वय में खुशियों के उफान में, प्यार के अरमान में- मिलन की आस में, इन्तजार है,उत्सव का- होली के। राधा-कृष्ण की जोरी, गुलाल का,गोधूली के उफान का रंगों की बौछार,मुक्त मन, मिलन,मुबारक,मिठाई की मिठासl भेद-भाव से आजादी, इंतजार साल भर होली काll परिचय-गोपाल चन्द्र मुखर्जी का बसेरा … Read more

अचंभित हूँ

गोपाल चन्द्र मुखर्जी बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ************************************************************ गणतंत्र दिवस स्पर्धा विशेष……… जंजीर से बंधी हुई माँ का हो रहा था चीरहरण, क्रंदन तब सहा नहीं गया नादान रहे,युवा रहे, इस देश का उत्तरसुरी संतानों का शपथ ली माँ को आजाद कराने का। कंधे से कंधे मिलाकर मिले थे नीचे एक झंडा के, प्रतिज्ञाबद्ध हुए सब रक्षा … Read more