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हम विभ्रांत क्यों आज ?

गोपाल चन्द्र मुखर्जी
बिलासपुर (छत्तीसगढ़)
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हम विभ्रांत क्यों आज!
मृत्यु का कारण बन रहा हूँ,क्या है,उसका राज!
जानता हूँ,कीटाणु घुले हुए हैं हवा में-
विश्व कांप रहा है संक्रमण के डर से।
फिर भी क्यों जाता हूँ मंदिर,मस्जिद,चर्च में-
ख़ुद को संक्रमित कर दूसरों का ध्वंस करने।
क्यों मैं भूल जाता हूँ-
सर्वधर्म क्या कहे हैं अंत में।
एक ही ईश्वर है सर्वव्यापी निराकार में-
हरेक प्राणी के हृदय में,सबके गृह कोण में।
उनका पूजास्थल है मन के गहन में,निभृत में-
आराधना भी होगी नीरवता से,
पुष्पांजलि पूर्ण होगी तब,जब,अश्रु बहेंगे-
दूसरों के दुःख से दुखी होंगे,हृदय से।
अपार शांति विराजती है भातृभाव के स्नेह में,
ईश्वर दर्शन वहीं होंगे,प्रेमपूर्ण सह अवस्थान में।
आइए भाई आइए,भूलकर विभेद सारे-
जुट जाते हैं विश्वजन रक्षा के कार्य में।
जब,रखेंगे ख़ुद को सुरक्षित,
सुंदर विश्व फिर से खिलेगा,सुनिश्चित॥

परिचय-गोपाल चन्द्र मुखर्जी का बसेरा जिला -बिलासपुर (छत्तीसगढ़)में है। आपका जन्म २ जून १९५४ को कोलकाता में हुआ है। स्थाई रुप से छत्तीसगढ़ में ही निवासरत श्री मुखर्जी को बंगला,हिंदी एवं अंग्रेजी भाषा का ज्ञान है। पूर्णतः शिक्षित गोपाल जी का कार्यक्षेत्र-नागरिकों के हित में विभिन्न मुद्दों पर समाजसेवा है,जबकि सामाजिक गतिविधि के अन्तर्गत सामाजिक उन्नयन में सक्रियता हैं। लेखन विधा आलेख व कविता है। प्राप्त सम्मान-पुरस्कार में साहित्य के क्षेत्र में ‘साहित्य श्री’ सम्मान,सेरा (श्रेष्ठ) साहित्यिक सम्मान,जातीय कवि परिषद(ढाका) से २ बार सेरा सम्मान प्राप्त हुआ है। इसके अलावा देश-विदेश की विभिन्न संस्थाओं से प्रशस्ति-पत्र एवं सम्मान और छग शासन से २०१६ में गणतंत्र दिवस पर उत्कृष्ट समाज सेवा मूलक कार्यों के लिए प्रशस्ति-पत्र एवं सम्मान मिला है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-समाज और भविष्य की पीढ़ी को देश की उन विभूतियों से अवगत कराना है,जिन्होंने देश या समाज के लिए कीर्ति प्राप्त की है। मुंशी प्रेमचंद को पसंदीदा हिन्दी लेखक और उत्साह को ही प्रेरणापुंज मानने वाले श्री मुखर्जी के देश व हिंदी भाषा के प्रति विचार-“हिंदी भाषा एक बेहद सहजबोध,सरल एवं सर्वजन प्रिय भाषा है। अंग्रेज शासन के पूर्व से ही बंगाल में भी हिंदी भाषा का आदर है। सम्पूर्ण देश में अधिक बोलने एवं समझने वाली भाषा हिंदी है, जिसे सम्मान और अधिक प्रचारित करना सबकी जिम्मेवारी है।” आपका जीवन लक्ष्य-सामाजिक उन्नयन है।

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