कब आओगे साजन

नरेंद्र श्रीवास्तवगाडरवारा( मध्यप्रदेश)**************************************** घर,आँगन,गलियाँ,चौराहे,सूने-सूने लगते हैं।वापस कब आओगे साजन,राह तुम्हारी तकते हैं॥ चिड़ियाँ फुदकें आँगन में आ,पहले जैसी बात नहीं।खिलें फूल खुशबू भी देते,उसमें वैसी रास नहीं।पवन झकोरे मद्धिम-मद्धिम,बेमन-बेमन बहते हैं,घर,आँगन,गलियाँ,…॥ सूरज रहता है दिनभर पर,ना बोले,ना बतियाये।हाल रात का भी ऐसा है,लगे,अश्क़ अब झलकाये।चाँद,सितारे गुमसुम बैठे,खोये-खोये रहते हैं,घर,आँगन,गलियाँ,…॥ चारों तरफ उदासी पसरी,दूर-दूर तक तनहाई।हूक … Read more

अनमोल पल

नरेंद्र श्रीवास्तवगाडरवारा( मध्यप्रदेश)**************************************** हम,जीअपनी जिंदगी रहे हैं,परहमारी नजर,औरों की जिंदगी पर हैयही प्रतिस्पर्धा है…घुड़दौड़ है। जो,न हमेंसुबह होने का,आभास कराती हैऔर न ही,शाम ढलने का। हम आलसी,भले ही नहीं रहेमगर,संतोषी भी नहीं हैं। और…और…और,अनगिनत आंकाक्षाओं के वशीभूतहम अतृप्ति का बोझ लिए,अर्जन करने मेंजुट गए हैं,अतिरिक्त…अनावश्यक। और खपा रहे हैं,जिंदगी के वे अनमोल पलजो हमें मिले … Read more

रहें प्रेम से

नरेंद्र श्रीवास्तवगाडरवारा( मध्यप्रदेश)**************************************** विश्व सौहार्द दिवस स्पर्धा विशेष…. रहें प्रेम से,कभी न झगड़ेंं,झगड़े में कुछ नहीं रक्खा।सच्ची-सच्ची बात करें हम,तुम बताओ,है नईं कक्का॥ चार दिना की ये जिंदगानी,नम्बर सबका आयेगा।इधर से कुछ ना ले जायेंगे,सब रखा यहीं रह जायेगा।क्यों करें हम धक्का-मुक्की,क्यों मारें धक्कम-धक्का॥ हिंदू,मुस्लिम,सिख,ईसाई,आपस में सब भाई प्यारे।सबके आगे नतमस्तक हम,मंदिर,मस्जिद,चर्च,गुरुद्वारे।कहते भी हैं धर्म … Read more

कोरोना का दंश…

नरेंद्र श्रीवास्तवगाडरवारा( मध्यप्रदेश)**************************************** कोरोना का दंश गजब का,काँप रहा है जग सारा।सुबह-शाम तक सूरज सिर पे,फिर भी लगता अँधियारा॥ हर पल काँटे से चुभते हैं,आँखों से आँसू झरते।सिसक-सिसक कर साँसें चलतीं,तिल-तिल कर जीते-मरते।नीरसता सब ओर दिखे है,बुझा-बुझा मन बेचारा,सुबह-शाम तक सूरज सिर पे,फिर भी लगता अँधियारा…॥ जो घर में,परिवार साथ में,स्वस्थ,सुखी,किस्मत वाले।देख सुकूँ मिलता है … Read more

वंदन…आभार…अभिनंदन

नरेंद्र श्रीवास्तवगाडरवारा( मध्यप्रदेश)**************************************** दुःखी देख द्रवित हो जाते,आगे बढ़ के साथ निभातेऐसे लोगों का है वंदन-आभार सहित…अभिनंदन। आकुल हों जब पीड़ित-परिजन,राह न सूझे,पास भी न धनऐसे में भगवान बन आतेमानवता की रस्म निभाते।करें मदद,दें अमृतमय क्षण,ऐसे लोगों का है वंदन॥ ठगी,लूट की काली छाया,चहूँ ओर पैसों की मायाऐसे में कुछ लोग भी ऐसे,न यश चाहें,न … Read more

मखमल से आभास हुए…

नरेंद्र श्रीवास्तवगाडरवारा( मध्यप्रदेश)**************************************** जब से हम-तुम साथ हुए हैं,जीवन के पल खास हुए हैं।पल-पल खुशियों में बीतें अब,मखमल से आभास हुए हैं॥ तनहाई का आलम तम-सा,पुरवाई का संग मद्धिम-सा।गीत विरह के क्रंदन जैसे,शहनाई का स्वर मातम-सा।पर अब सब कुछ बदल गया है,अब हर पल मधुमास हुए हैं,पल-पल खुशियों में बीतें अब,मखमल से आभास हुए हैं…॥ … Read more

कब आयेंगे….

नरेंद्र श्रीवास्तवगाडरवारा( मध्यप्रदेश)**************************************** बोझिल-सी बैचेन निगाहें,ताक रहीं हैं राहों को।कब आयेंगे दिलवर मेरे,थामेंगे इन बाँहों को॥ सपने देख रही है चाहत,अरमानों का संग लिए।स्वप्निल छुअन मखमल जैसी,पल-पल पुलकित अंग लिए।शीतल-प्रीत बयार चली ये,महकाए है साँसों को,कब आयेंगे दिलवर… सीने में तस्वीर बसी जो,नज़र फिज़ाओं में आए।रोम-रोम को हर्षित करती,चंदन खुशबू महकाए॥रूप बावरे,प्रेम घनेरे,दृश्य दिखाए आँखों … Read more

अपने फर्ज़ निभाएं

नरेंद्र श्रीवास्तवगाडरवारा( मध्यप्रदेश)******************************************** ऐसा भी कुछ कर दिखलाएं,अपने-अपने फर्ज़ निभाएं। इक़-दूजे से रखें मोहब्बत,इक़-दूजे का मान बढ़ाएं। आपस में मतभेद मिटाकर,आपस में सामंजस्य बनाएं। अपराधों में अंकुश आए,‘स्वजन’ में संस्कार जगाएं। लड़ने-अड़ने की जिद छोड़़ें,‘बड़ों’ की कही बात निभाएं। मिल-जुल करके रहें शांति से,स्वस्थ,सुखी माहौल बनाएं॥

काकाजी

नरेंद्र श्रीवास्तवगाडरवारा( मध्यप्रदेश)********************************************************* बदला-बदला सा घर लगता,हुए सयाने काकाजी,नव युगीन नूतन पीढ़ी में,हुए पुराने काकाजी। पूरा गाँव दीवाना था,काकाजी के गीतों का,अपने उसी गाँव में अब तो,हुए बेगाने काकाजी। चौपालों में बैठक करके,न्याय दिलाते थे सबको,झगड़ा उनके साथ हुआ तो पहुँचे थाने काकाजी। किसको क्या लेना-देना है,तय करते थे खुद ही वो,मोहताज हो आज तरसते,दाने-दाने … Read more

भारतीय संस्कृति और `कोरोना` संकट का एकांतवास

नरेंद्र श्रीवास्तव गाडरवारा( मध्यप्रदेश) ***************************************************************** विश्व में हमारी संस्कृति की एक अलग पहचान है। हमें अपनी संस्कृति पर गर्व भी है और गौरव भी। हमने सृष्टि के महत्व को समझा,जाना और सम्मान किया है। सृष्टि एवं सृष्टिकर्ता को ईश्वर माना है,सर्वश्रेष्ठ और परम पूजनीय मानकर उन्हें शत-शत नमन किया है। हमारी संस्कृति ने ईश्वर द्वारा … Read more